बस्तीःदेश भर में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती (Lal Bahadur Shastri Jayanti) धूम-धाम से मनाई जा रही है. लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की विदेश में मौत का रहस्य आज तक सामने नहीं आ सका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अब एक बार फिर से स्वर्गीय शास्त्री की मौत के रहस्य को लेकर जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है. अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के प्रदेश सचिव डॉक्टर मनोज श्रीवास्तव ने ऐलान कर दिया है कि जो भी पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारों को सजा दिलाएगी. वह उसके साथ खड़े रहेंगे. प्रदेश सचिव ने कायस्थ आयोग और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य सामने लाने की मांग करते हुए पीएम मोदी को पत्र भी भेजा है.
कायस्थ आयोग के गठन की मांग
गौरतलब है कि देश भर में करीब 22 करोड़ कायस्थ समाज के लोग हैं. इतनी बड़ी संख्या में लोग जिस भी दल के साथ खड़े होते हैं, तो वह खुद सत्ता में आ जाता है. ऐसे में पीएम मोदी से उम्मीदों के साथ कायस्थ महासभा द्वारा की गई मांग की चर्चा शुरू हो गई है. डॉक्टर मनोज श्रीवास्तव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्हे प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी दी गई है और इस नाते उनका अपने समाज और संगठन के उत्थान के लिए बेहतर कार्य करना प्राथमिकता है. जिसे लेकर वह चहात हैं कि सबसे पहले कायस्थ आयोग का गठन हो और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु के कारणों का जांच किया जाए.
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की हुई थी रहस्यमय मौत
देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का 11 जनवरी 1966 निधन हुआ था. ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देने वाले शास्त्री की पुण्य तिथि तो सालो से मनाई जा रही है. लेकिन आज भी उनकी मौत का रहस्य बरकरार है. प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने 9 जून 1964 को प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया था. लाल बहादुर शास्त्री की मौत भारत से दूर ताशकंद में 11 जनवरी 1966 को हुई थी. उनकी मौत के रहस्य को आज भी पूरी तरह से सुलझाया नहीं जा सका है. अपनी साफ सुथरी छवि और सादगी के लिए प्रसिद्ध लाल बहादुर शास्त्री करीब डेढ साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे. उनके नेतृत्व में भारत ने साल 1965 की लड़ाई में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी. ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में रहस्यमय परिस्थितियों में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई थी.