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बस्ती और सुलतानपुर में पूर्णिमा के दिन मूर्ति विसर्जन की है परंपरा

उत्तर प्रदेश के बस्ती और सुलतानपुर जिले में पूर्णिमा के दिन प्रतिमा विसर्जन किया जाएगा. स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले 54 सालों से पूर्णिमा के दिन प्रतिमा विसर्जन की परंपरा चलती आ रही है.

पूर्णिमा के दिन विसर्जन की है परंपरा.

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Published : Oct 13, 2019, 3:04 PM IST

बस्ती:जब पूरे देश में दुर्गा पूजा और दशहरा की धूम खत्म हो रही होती है, तब यूपी के बस्ती जिले के नगरी क्षेत्र में यह अपने पूरे शबाब पर होती है. दरअसल पूरे देश में दशहरे के दिन या एक दिन बाद ही मूर्ति विसर्जन किया जाता है, लेकिन यूपी के दो जिले सुलतानपुर और बस्ती में पूर्णिमा को मूर्ति विसर्जन किया जाता है.

यह परंपरा पिछले 54 सालों से चली आ रही है. पूरे देश में मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन हो जाता है, तब बस्ती में सालों पुरानी परंपरा के अनुसार अतिरिक्त पांच दिन तक पूर्णमासी को दशहरा का त्योहार समाप्त होता है. जिले में अलग-अलग दुर्गा पंडालों को सजाया गया है. लाखों की संख्या में भीड़ मां दुर्गा के दर्शन के लिए पहुंचती है और मेले का लुत्फ उठाती है.

पूर्णिमा के दिन विसर्जन की है परंपरा.

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ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिमाओं का विसर्जन 8 अक्टूबर को हो चुका है, जबकि बस्ती शहर में आज यानी पूर्णमासी को विसर्जन होने के नाते बस्ती जिले में दशहरा अब पूरे शबाब पर है. आज पूर्णमासी के दिन दुर्गा पूजा का पाठ और भव्य मेले का माहौल रहेगा. इस दिन विसर्जन किया जाएगा, जिसे लेकर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिए हैं. यूं तो पूरे नगर में आकर्षक दुर्गा पंडाल सजाए गए हैं मगर सबसे आकर्षित मूर्ति कंपनी बाग की है, जहां मां की प्रतिमा को बेहद खूबसूरत बनाया गया है.

बस्ती जनपद के लोगों का मानना है आज के दिन विसर्जन करने की परंपरा लगभग 54 साल से चली आ रही है. उन्होंने कहा कि वैसे इसकी कोई धार्मिक मान्यता की प्रमाणिकता तो नहीं मिलती है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह परंपरा सुलतानपुर से आई. लोगों ने बताया कि वहां भी पूर्णमासी को विसर्जन किया जाता था. इसी को देखते हुए व्यापारियों ने पुरानी बस्ती में इस परंपरा को शुरू किया. धीरे-धीरे यह परंपरा पूरे बस्ती नगर में फैल चुकी है.

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