बस्ती : सत्ता हासिल करने के बाद लालकिले की प्राचीर से पहली बार बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'सांसद आदर्श ग्राम योजना' का ऐलान किया था. इसके तहत सांसदों को पांच साल में तीन आदर्श गांव बनाने थे. योजना जयप्रकाश नारायण की जयंती 11 अक्तूबर 2014 को लांच की गई. इसके बाद बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी ने भी तीन गांवों को गोद लिया, लेकिन ये गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से वचिंत हैं.
- सांसद हरीश द्विवेदी ने बस्ती के तीन गांव अगौना, अमोढ़ा और पैड़ा को गोद लिया, लेकिन इन गांवों की जमीनी हकीकत चौकाने वाली है.
- आज भी अगौना और अमोढ़ा के ज्यादातर लोग नाली, आवास, शौचालय, गैस जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं.
- वहीं पूरा बस्ती जिला कागजों में ओडीएफ हो चुका है, लेकिन यहां ज्यादातर लोग आज भी खुले में शौच जाते हैं.
- अमोढ़ा में कुछ ऐसे भी मोहल्ले थे, जहां लोगों ने आरोप लगाया कि सांसद जाती के नाम पर भेदभाव करते हैं.
- अभी तक ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला, शौचालय नहीं मिला.
सबसे बड़ा सवाल ये है कि कुछ ऐसे भी इलाके हैं, जहां के लोग सांसद को पहचानते भी नहीं हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सांसद कभी गांव के अंदर आए ही नहीं. सड़क पर जब मिलने की कोशिश भी करते हैं, तो उनके लोग मिलने भी नहीं देते हैं.
...नहीं सुनते हैं सांसद
- बस्ती की पहचान और अगौना के लाल आचार्य रामचन्द्र शुक्ल खुद अपनी ही धरती पर उपेक्षित पड़े हैं.
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल के नाम पर लाइब्रेरी बना दी गई है, लेकिन ये लाइब्रेरी अब अराजक तत्वों का अड्डा बन चुकी है.
- पूर्व प्रधानाचार्य कृष्ण प्रसाद मिश्र ने बताया कि कई बार सांसद हरीश द्विवेदी से कहा गया, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला.