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बस्ती: मृतक आश्रित के स्थान पर दूसरे को दे दी नौकरी

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में मृतक आश्रित के स्थान पर एक अन्य युवक को नौकरी देने का मामला सामने आया है. पीड़ित युवती की शिकायत पर कमिश्नर ने मामले की जांच कराई तो पूरा मामला सामने आया. मामले में स्वास्थ्य विभाग के 8 कर्मचारी और अधिकारी दोषी पाए गए हैं.

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जानकारी देते कमिश्नर अनिल सागर.

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Published : Jul 5, 2020, 6:48 PM IST

बस्ती:स्वास्थ्य विभाग में मृतक आश्रित के स्थान पर एक अन्य युवक को नौकरी देने का फर्जीवाड़ा सामने आया है. इतना ही नहीं विभाग की ओर से मृतक के जीपीएफ का पैसा भी उस युवक को दिया गया. इस पूरे मामले का खुलासा कमिश्नर की जांच में हुआ. जांच में स्वास्थ्य विभाग के कुल 8 कर्मचारी और अधिकारी दोषी पाए गए हैं. सभी आपोरियों के खिलाफा जांच टीम ने कार्रवाई की सिफारिस की है.

मृतक आश्रित के स्थान पर नौकारी देने का फर्जीवाड़ा.

अपर आयुक्त की अगुवाई में बनी जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट कमिश्नर को सौंप दी है. जांच में तत्कालीन सीएमओ डाॅ. जेएएलएम कुशवाहा, सीएमओ कार्यालय के बाबू प्रमोद कुमार मिश्र, सल्टौआ पीएचसी के प्रभारी डाॅ. रवींद्र वर्मा, पटल सहायक योगेंद्र वर्मा, पेंशन की स्वीकृति देने वाले एमओआईसी डाॅ. सचिन कुमार, उपनिबंधक भानपुर, फर्जी परिवार रजिस्टर पर नाम चढ़ाने वाले वाले एडीओ पंचायत सल्टौआ सुरेंद्र कुमार और ग्राम पंचायत अधिकारी रमाकांत दोषी पाए गए हैं. वहीं जांच टीम का कहना है कि मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ. सीएल कन्नौजिया और प्रशासनिक अधिकारी मोहम्मद सफी ने अगर अपनी जांच रिपोर्ट दी होती तो इस फर्जीवाड़े को रोका जा सकता था.

यह है पूरा मामला
स्व. पार्वती देवी जिले के पीएचसी सल्टौआ में एएनएम के पद पर कार्यरत थीं. उनकी एकलौती बेटी गरिमा का नाम मृतक के सर्विस बुक में वारिश के रूप में अंकित है. साथ ही परिवार रजिस्टर में भी उसका नाम दर्ज है. नियमानुसार मृतिका के स्थान पर उसकी बेटी को मृतक आश्रित के तहत स्वास्थ्य विभाग में नौकरी मिलनी चाहिए थी. गरिमा ने बताया कि विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के यह नौकरी फर्जी तरीके से प्रदीप कुमार नाक के युवक को दे दी गई. युवक तहसील भानूपुर के औड़जगंल टोला बनकटेवा का निवासी है.

ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा
युवती ने बताया कि प्रदीप को फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी दी गई. युवती का आरोप है कि फर्जीवाड़ा कर नौकरी देने में सीएमओ कार्यालय में कार्यरत लिपिक प्रमोद कुमार मिश्र और पीएचसी सल्टौला में तैनात सहायक पटल योगेंद्र वर्मा की मुख्य भूमिका है. इतना ही नहीं मेरी मृतक मां के जीपीएफ का चार लाख रुपये भी युवक को दिया गया. एडीओ पंचायत और सेक्रेटरी ने मिलकर परिवार रजिस्टर में पिता के रुप में प्रदीप कुमार चौधरी का नाम दर्ज कर कराया. उप निबंधक भानपुर ने फर्जी तरीके से मैरिज सर्टिफिकेट बनाकर युवक को नौकरी दी.

न्याय के लिए युवती कर चुकी है आमरण अनशन
युवती ने बताया कि जब उसको इस फर्जीवाड़े की जानकारी हुई तो कमिश्वर, डीएम, सीएमओ और एडी हेल्थ को पत्र लिखक न्याय की गुहार लगाई. स्थानीय सांसद और विधायक के पास भी फरियाद लेकर, गई लेकिन कहीं से इंसाफ नहीं मिला. इसके बाद डीएम कार्यालय के सामने आमरण अनशन भी किया. वहीं कमिश्नर अनिल सागर ने बताया कि पीड़ित युवती की शिकायत के आधार पर पूरे मामले की जांच की गई है. जांच में दोषी पाए गए स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा गया है.

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