बस्तीः जिले में लगातार दो हफ्ते से बारिश का कहर जारी है, जिस वजह से नदियां भी अब उफान पर पहुंच गई हैं. बस्ती के दुबौलिया थाना क्षेत्र का सुविखा बाबू गांव पूरी तरह बाढ़ के पानी से घिर चुका है. यहां के लोगों को गांव से बाहर निकलने के लिए महज नाव का ही सहारा रह गया है. वहीं अभी तक इन गांव वालों को प्रशासन की तरफ से कोई सुविधा या मदद नहीं पहुंचाई जा रही है, जिससे ग्रामीण भारी असुविधा का सामना कर रहे हैं.
कई गांवों में घुसा बाढ़ का पानी खतरे से 2 सेमी. ऊपर बह रही सरयू
केंद्रीय जल आयोग अयोध्या के अनुसार नदी का जलस्तर 92.750 पर रिकार्ड किया गया जो कि खतरे के निशान 92.730 से दो सेमी ऊपर है. नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से जिले के अति संवेदनशील तटबंध कटरिया-चांदपुर और गौरा सैफाबाद पर नदी का दबाव तेजी से बना हुआ है. कटरिया के पास बने ठोकर नंबर एक पर नदी का तेज दबाव बना हुआ है.
इन गांवों पर संकट
ठोकर की नोज बचाने के लिए बाढ़ खंड करीब 15 मजदूरों के साथ बोल्डर का कैरेट बनवाकर डाल रहा है. टकटकवा, दिलासपुरा, विशुनदासपुर का पुरवा, सुविखा बाबू, टेढवा और भुअरिया आदि गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. प्रशासन के इंतजाम यहां नाकाफी हैं. पशुपालकों के सामने चारे का संकट खड़ा हो चुका है. गांव से बाहर आने के लिए ग्रामीणों के लिए जिला प्रशासन ने किसी प्रकार के नाव की व्यवस्था तक नहीं की है. गांव के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है.
आने-जाने के लिए नाव ही सहारा
दुबौलिया ब्लाक क्षेत्र के पचास घरों के लोगों का एक मात्र सहारा नाव ही रह गया है. गांव के लोगों का कहना है जिस के पास नाव है वह लोग नाव द्वारा अपने जरूरी समानों को ले जाते हैं, लेकिन जिनके पास नाव नहीं है वे लोग पानी में होकर आते जाते हैं. कटरिया तटबंध से सुविखा बाबू गांव करीब तीन किमी. दूर है और गांव को जाने वाली पगडंडी पूरी तरह से जलमग्न है.
पिछले साल का भी नहीं हुआ भुगतान
गांव के लोगों का कहना है कि हर वर्ष प्रशासन के तरफ से बाढ़ आने पर लोगों को आने-जाने के लिए नाव लगाई जाती है, लेकिन पिछले वर्ष जिन लोगों की नाव अधिग्रहित की गई थी, उन्हें अभी तक पास नहीं मिला है और न ही उनका भुगतान किया गया है.