बस्ती : जनपद में प्रतिवर्ष घाघरा नदी के कटान से हजारों बीघा कृषि योग्य भूमि और गांव नदी में समा रहे हैं. अभी तक जिले के लगभग दर्जनों गांव घाघरा नदी की गोद में विलीन हो चुके हैं. हालांकि जब तक बाढ़ रहती है, तब तक अधिकारियों और नेताओं का दौरा यहां होता रहता है. बाढ़ खत्म होने के बाद पींड़ितों का दर्द कोई सुनने वाला नहीं रहता है. बस्ती जनपद के विकास खंड दुबौलिया के विशुनदासपुर गांव में सैकड़ों ग्रामीणों ने क्षेत्रीय विधायक से लेकर जिलाधिकारी बस्ती व उपजिलाधिकारी हरैया से अपने लिए एक आवास बनवाने की मांग की लेकिन उन्हें आज तक जमीन नसीब नहीं हुई. ये लोग हर साल बाढ़ की मार झेलकर थक चुके हैं.
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नदी में समा जाते हैं गांव
शुक्रवार को बाढ़ पीड़ित ग्रामीण तहसील हरैया के उच्चाधिकारियों से मिले और अपने आवास के लिए जमीन मुहैया कराने की मांग की. ग्रामीणों ने बताया की जब बाढ़ आती है तो यही अधिकारी बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों का दौरा करते हैं और प्रतिवर्ष उन्हें सुरक्षित स्थान पर बसाने की बात करते हैं. बाढ़ खत्म होते ही यही अधिकारी पीड़ितों की बातों को नजर अंदाज करने लगते हैं. उन्हें बार-बार इन अधिकारियों के दफ्तरों में चक्कर लगाना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि हमारा गांव विशुनदासपुर घाघरा नदी के मुहाने पर है. अगले वर्ष यह गांव नदी के गोद मे समा जाएगा. इससे यहां के सैकड़ों लोग बेघर हो जाएंगे. ग्रामीणों को सरकार से मिलने वाला आवास का पैसा मिल गया लेकिन अभी तक हम लोगों को जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षित स्थान पर घर बनाने के लिए जमीन मुहैया नहीं कराई गयी है. कहा, बरसात का मौसम आने वाला है. गांव वालों को यह चिंता सता रही है कि अबकी गांव नहीं बचेगा.
पैसा नहीं जाएगा वापस
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नन्द किशोर कलाल ने बताया की जल्द ही इन लोगों को आवास बनाने के लिए भूमि उपलब्ध करा दी जाएगी. फाइल पूरी कर ली गई है. बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र के लोगों को भूमि मुहैया करवा दी जाएगी. इससे वह समय रहते ही अपना आवास बना सकेंगे. रही बात पैसा वापस होने की तो इसके बारे में संबंधित अधिकारी से बात की जा रही है. जब तक राजस्व टीम द्वारा सर्वे का कार्य पूरा नहीं हो जाता, तब तक किसी भी लाभार्थी के आवास का पैसा वापस नहीं लिया जाएगा.