बस्ती: कहते हैं कि इंसान कोई भी जंग हाथों से नहीं बल्कि हौसलों से जीतता है. इस कहावत को सच कर दिखाया है बस्ती जिले में स्थित कैली हॉस्पिटल की नर्स सुशीला देवी ने. ईटीवी भारत की टीम ने आज अंतराष्ट्रीय नर्स दिवस (International Nurses Day) पर कोरोना वॉरियर नर्स सुशीला देवी से खास बातचीत की.
कोरोना वॉरियर सुशीला देवी
दरअसल, बस्ती जिले के कैली हॉस्पिटल में तैनात सुशील देवी कोरोना ड्यूटी के ठीक पहले इस कदर बीमार थीं कि अपने ही अस्पताल में उन्हें तीन-तीन बार भर्ती कराना पड़ा था. लॉकडाउन के समय लगातार वह हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित थीं, लेकिन जैसे ही ठीक हुईं परिवार वालों के मना करने के बावजूद वह कोरोना ड्यूटी पर निकल पड़ीं. महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज में उन्होंने 18 दिन ड्यूटी की. कोरोना मरीजों सहित क्वारंटाइन लोगों के खानपान का ख्याल रखा और पूरी सावधानी बरतते हुए दिनरात सेवा की.
8 महीने बाद है रिटायर्मेंट
सेवानिवृत होने में मात्र आठ माह बचे होने के बावजूद 59 वर्षीय सुशीला देवी ने कोरोना वारियर्स बनकर एक मिसाल पेश की. इन दिनों वह एक निजी होटल में क्वारंटाइन चल रही हैं.