बस्ती: जनपद से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां स्वास्थ्य कर्मचारियों के ईपीएफ में बहुत बड़ा घोटाला किया गया है. इस मामले का खुलासा तब हुआ जब एक स्वास्थ्य कर्मचारी ने आरटीआई दायर कर अपने ईपीएफ अकाउंट का हिसाब मांगा. डीएम सौम्या अग्रवाल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के लिए एक टीम का गठन किया है.
जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग में जिन संविदा कर्मियों का वेतन 15 हजार या उससे कम होता है. उनका ईपीएफ काटा जाता है. इसमें मानदेय का 12 फीसदी ईपीएफ कर्मी का और उतना ही अंशदान विभाग का भी होता है. लेकिन संविदा कर्मचारियों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग में कॉन्ट्रेक्ट पर काम करने वाले सात सौ कर्मियों में से तीन सौ कर्मियों के ईपीएफ (EPF) का तकरीबन 88 लाख रुपये उनके खाते में आज तक जमा ही नहीं हुआ है.
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आरटीआई मांगने वाली संविदा कर्मी सरिता ने जिला प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि उसे अपने खाते का पूरा ब्यौरा चाहिए कि उसके अकाउंट में अब तक कितना ईपीएफ जमा किया जा चुका है. अन्य संविदा कर्मियों का कहना है कि योजना के शुरू होने से लेकर आज तक एक पैसा भी ईपीएफ अकाउंट में जमा नहीं किया गया है. जबकि उनके मानदेय से ईपीएफ के नाम पर कटौती हर महीने की जाती है. जिला अकाउंट मैनेजर शशिमौलि रतन पांडेय ने कहा कि ईपीएफ का धन संबंधितों के अकाउंट में बराबर भेजा जा रहा है. लेकिन टेक्निकल वजह से पासबुक में नहीं चढ़ पाया है. जल्द ही समस्या का निदान हो जाएगा.
डीएम सौम्या अग्रवाल ने कहा कि उनके संज्ञान में मामला आया है. इसकी जांच के लिए एक टीम का गठन कर दिया गया है. अगर जांच में मामला सत्य पाया जाता है तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई निश्चित है. गौरतलब है कि सरकार द्वारा 2015 में संविदाकर्मियों के मानदेय से ईपीएफ कटौती का निर्देश दिया गया था. तब से कर्मियों का ईपीएफ तो कट रहा है लेकिन संबंधितों के खाते में नहीं पहुंच रहा है.
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