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मायावती की सरकार ने जिसके लिए करोड़ों रुपये किए थे खर्च, अब है ये हाल - बस्ती की खबर

उत्तर प्रदेश की बस्ती जिले में जिस योजना पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे, आज वह खस्ताहाल है. इस योजना का उद्देश्य दलितों का उत्थान था.

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Published : Jun 14, 2021, 9:26 AM IST

Updated : Jun 14, 2021, 10:57 AM IST

बस्तीःदलितों के उत्थान के लिए योजना शुरू हुई, करोड़ों रुपये खर्च हुए लेकिन दलितों का उत्थान छोड़िए योजना का ही पतन हो गया. 2009 में प्रदेश में तत्कालीन सीएम मायावती ने अंबेडकर ग्रामों में जो योजना शुरू की थी, आज उस योजना पर ही ध्यान नहीं दिया जा रहा है. सरकार का कार्यकाल खत्म हो गया तो योजना भी अधूरी छोड़ दी गई. जिस योजना पर करोड़ों रुपये खर्च हुए, उसकी हालत देखकर आपको भी तरस आएगा. बात हो रही है डॉ. भीमराव आंबेडकर सामुदायिक केंद्र की.

भारी भरकम खर्च से डॉ. भीमराव आंबेडकर सामुदायिक केंद्र का निर्माण हुआ था. देखरेख के अभाव में अब यह बदहाल हो गया है. भवन का निर्माण पूरा होने के बाद आज तक उसकी सुध नहीं ली गई. बानगी के तौर पर विक्रमजोत ब्लॉक क्षेत्र के गांव चरथी कथिक में प्रसूताओं व बच्चों के टीकाकरण के लिए डॉ. भीमराव आंबेडकर सामुदायिक केंद्र बना है. विभागीय अनदेखी के चलते बसपा शासन के बाद से ही यह बंद पड़ा है. भवन का जर्जर गेट इस बात की गवाही दे रहा है कि इसका कोई पुरसाहाल नहीं है.

योजना का बुरा हाल

गौरतलब है कि बसपा शासनकाल में अंबेडकर ग्रामों का चयन हुआ था. योजना में प्रावधान था कि चयनित अंबेडकर गांव में स्वास्थ्य सुविधा के लिए मिनी अस्पताल बनाया जाएगा. उसी योजना के अंतर्गत अंबेडकर गांव में मानक के अनुसार डॉ. भीमराव अंबेडकर सामुदायिक केंद्र के नाम से मिनी अस्पताल बनवाया गया था, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद अभी तक चिकित्सकों की नियुक्ति इस मिनी अस्पताल के लिए नहीं हो पाई. इसी तरह के सभी केंद्र, मिनी अस्पतालों की हालत जर्जर हो गई है. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार विभाग के अधिकारियों के संज्ञान में यह मामला लाया भी गया लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ.

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ग्रामीण कई बार इसे सुचारू रूप से चलाने की मांग कर चुके हैं लेकिन कभी किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया. जिले के जिम्मेदार इसको लेकर बेपरवाह हैं. इनकी लापरवाही के चलते लाखों-करोड़ों की लागत से बने डॉ. भीमराव आंबेडकर सामुदायिक केंद्र अब जर्जर हो चुके हैं. अधिकतर केंद्र तो ऐसे हैं जो निर्माण पूरा होने के बाद आज तक खोले ही नहीं गए. इन केंद्रों में झाड़ियां तक उग चुकी हैं. वहीं गांव के अराजकतत्व उनके खिड़की, दरवाजों सहित मुख्य गेट चुरा ले गए हैं. कुछ केंद्र तो जुआ खेलने का अड्डा बन चुके हैं. जर्जर इमारत के भीतर और बाहर खड़ी झाड़ियां उगी हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो पंद्रह वर्ष पहले सन् 2009 में यह केंद्र बना था. भवन निर्माण का कार्यदायी संस्था पैक फेड की ओर से किया गया था.

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Last Updated : Jun 14, 2021, 10:57 AM IST

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