बस्ती: जिले में डीएम की पहल के बाद 65 बीघे पर कब्जा किए गए 38 भवन और भूमि स्वामियों का मालिकाना हक समाप्त हो गया है. सालों से अवैध रुप से हथियाई गई जेडए और नॉनजेडए की सारी जमीनें सरकारी हक में चली गई हैं. फर्जीवाड़े के इस खेल में खुलकर सदर तहसील के राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका सामने आई है. रुधौली के बीजेपी विधायक संजय प्रताप जायसवाल की शिकायत के बाद इस मामले पर कार्रवाई की गई है.
बस्ती: सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत पर कार्रवाई
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में 65 बीघे पर कब्जा किए गए 38 भवन और भूमि स्वामियों का मालिकाना हक समाप्त हो गया है. फर्जीवाड़े के इस खेल में खुलकर सदर तहसील के राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका सामने आई है.
इस सबके लिए राजस्वकर्मियों, पट्टेदार और उनके वारिसों की मिलीभगत को जिम्मेदार मानते हुए इस पर काबिज 38 लोगों को बेदखल कर दिया. इस तरह जिन लोगों ने साजिश करके जमीन बेची व खरीदी और बाद में उसे बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश से फर्जी तरीके से राज्य सरकार की भूमि की श्रेणी को परिवर्तित कर उसे 1 क के रुप में दर्ज करवा लिया. अब न तो वह लोग उस जमीन और भवन के मालिक रह गए और न ही इस आदेश के बाद कोई भी जमीन और भवन को बेच सकता है, न ही आधिकारिक रूप से उस पर अपना अधिकार जता सकता है. इसे अंजाम तक पहुंचाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका जांच अधिकारी सदर तहसीलदार पवन जायसवाल की रही. हालांकि अपर एसडीएम सुखबीर सिंह और ईओ नगरपालिका अखिलेश त्रिपाठी की भी भूमिका कम महत्वपूर्ण नहीं रही. इन सबके बावजूद सबसे अधिक सराहनीय भूमिका डीएम की रही.
प्रशासन की इस कार्रवाई के बाद जिन लोगों का मालिकाना हक समाप्त हो गया है, उनमें कई नामचीन लोग शामिल हैं. जिनमें व्यापारी, अधिवक्ता, रिटायर राजस्वकर्मी और सरकारीकर्मी भी हैं. वहीं जिन लोगों का नाम अभिलेखों से निरस्त करने की संस्तुति जांच टीम की ओर से की गई है, उनमें जेडए और नॉन जेडए दोनों शामिल हैं.