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आखिर बरेली में बकरीद से पहले जरी के कामगारों ने क्यों बदला अपना रोजगार?

ईद-उल-अजहा के त्योहार को लेकर इन दिनों पिछले एक सप्ताह से फिर रौनक लौट आई है. बरेली शहर में हजारों लोग जरी-जरदोजी का काम करते हैं, लेकिन बाजारों में लौटी रौनक से अपने पारम्परिक जरी के काम को छोड़कर लोग सेंवई की बिक्री कर रहे हैं.

ईद-उल-अजहा का त्योहार
ईद-उल-अजहा का त्योहार

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Published : Jul 21, 2021, 4:57 AM IST

Updated : Jul 21, 2021, 6:25 AM IST

बरेली:ईद-उल-अजहा का पर्व धूम धाम से सौहार्दपूर्ण माहौल में मनाया जा रहा है. जहां बाजारों में सन्नाटा था वहीं एक बार फिर रौनक है. आलम ये है कि बकरीद के इस त्योहार से उन लोगों को भी उम्मीद है जो कि कोरोना की वजह से मंडी की मार झेल रहे हैं. बरेली में इस त्योहार पर अपने पारम्परिक जरी के काम को छोड़कर लोग सेंवई की बिक्री की जा रही है.

बकरीद से पहले जरी के कामगारों ने क्यों बदला अपना धंधा
ईद-उल-अजहा के त्योहार को लेकर इन दिनों पिछले एक सप्ताह से फिर रौनक लौट आई है. हम आपको बता दें कि पिछले साल से वैश्विक महामारी ने त्योहारों के प्रति लोगों में उत्साह को कम कर दिया था. बरेली शहर में हजारों लोग जरी-जरदोजी का काम करते हैं, लेकिन मंदी की मार ने हर किसी को परेशान किया है. ईटीवी भारत ने बरेली के मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों समेत अलग-अलग बाजारों लोगों से बात की, और त्योहार के अवसर पर हर दस कदम की दूरी पर सेंवइयां बड़े पैमाने पर बिक्री होती हुई देखी गई.यह भी



हमने अलग अलग दुकानदारों से बात की, बाजार में इस बार स्थानीय सेंवई के अलावा प्रमुख रूप से हैदराबाद, शाहजहांपुर, लखनऊ और वाराणसी की सेंवई खूब पसंद की जा रही है. लेकिन उससे भी खास बात ये है कि बाजार में ग्राहकों को जिले के बाहर से आने वाली सेंवइयां लुभा रही हैं.


दुकानदारों का कहना है कि वो साल भर तो जरी का काम करते हैं, लेकिन कोरोना की वजह से जरी के कारीगर पहले ही भुखमरी के कगार पर हैं. उनका कहना है कि यह त्योहार उम्मीद लेकर आया है. ऐसे में ईद के त्योहार के मद्देनजर सेंवई का स्टॉल लगाकर कुछ मुनाफा कमा सकते हैं.




Last Updated : Jul 21, 2021, 6:25 AM IST

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