बरेली: जिले में आमतौर पर गांव देहात एरिया में गांव की सरकार का विरोध न हो ऐसा होता नहीं है, लेकिन बरेली जिले के बिथरी चैनपुर ब्लॉक के गांव मोहनपुर गंव के ग्रामीण सरकारी कामों से काफी खुश हैं. मोहनपुर गांव बरेली के तो बड़े गांवों में शुमार है ही पूरे मंडल में भी इस गांव को बड़े गांवों में गिना जाता है. ग्राम प्रधान के पुत्र ने बताया कि गांव की आबादी 60 हजार के करीब है, जबकि यहां मतदाताओं की संख्या करीब 20 हजार है.
ग्रामीणों के मुताबिक पहले इस गांव में एक ही परिवार का दबदबा था गांव के लोगों ने बताया कि गांव में रास्तों की हालत सुधरी है. पंचायत घर भी सुंदर बनाया गया है. गांव में सीसी रोड का निर्माण कराया गया है. पेयजल के लिए गांव में टंकी का निर्माण हो चुका. इतना ही नहीं वर्तमान में गांव में बारात घर का कार्य चल रहा था, लेकिन चुनावों की वजह से फिलहाल कार्य रुक गया है.
एक ही परिवार करते रहा था लंबे समय से प्रतिनिधित्व
मोहनपुर गांव में पिछले काफी समय से एक ही परिवार गांव की सरकार चला रहा था. गांव में 30 साल तक एक ही परिवार प्रधान पद पर काबिज था, लेकिन पिछली पंचवर्षीय योजना में जब प्रधान पद को चुनाव हुआ तो ग्रामीणों ने तख्तापलट कर दिया और गांव की सीमा देवी को प्रधान चुन लिया.
कभी अच्छे नहीं थे गांव के हालात, अब बदल गई गांव की तश्वीर
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में तमाम सरकारी सुविधाओं का लाभ जरूरतमंदों को दिलाने में ग्राम प्रधान सहयोग करते हैं. मोहनपुर गांव के लोग ये बताना भी नहीं भूलते की पूर्व में गांव के क्या हालात थे. पहले यहां एक ही परिवार का दबदबा था, जिसके कारण गांव का विकास थम गया था. लेकिन अब स्थिती बदली है. गांव में ग्राम पंचायत सदस्यों की मीटिंग तो होती ही हैं. अफसर भी यहां बने ग्राम सचिवालय के अथिति गृह में आकर गांव में किए विकास कार्यों का जायजा लेते रहते हैं.
अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों ने किया सहयोग
ग्राम प्रधान के बेटे "रितेश पटेल का दावा है कि उन्होंने गांव की तश्वीर बदलने के लिए तमाम जतन किए. वो कहते हैं कि "जनप्रतिनिधियों से बराबर संपर्क में रहते हैं. सरकारी योजनाओं के अलावा जनप्रतिनिधियों का सहयोग गांव के विकास के लिए लेते हैं. जिले के अफसरों से भी पांच साल के कार्यकाल में तमाम गांव के लिए आने वाली योजनाओं के बारे में पूर्ण सहयोग लिया, जिससे गांव की तश्वीर बदल गई. अमूमन ऐसा कम ही देखने को मिलता है. जब गांव में प्रधान का विरोध न हो मोहनपुर गांव भी उन्हीं में से एक है. जहां ग्रामीण गांव की सरकार के कामकाज से संतुष्ट नजर आए.