बरेली: देश और प्रदेश की राजधानी के बीच बसा बरेली किसी नाम का मोहताज नहीं. 1966 में आई फिल्म 'मेरा साया' का वो गाना 'झुमका गिरा रे बरेली की बाजार में सुनते ही लोग, बरेली को झुमके वाली बरेली के नाम से भी जानते हैं. मगर सरकारों की उदासीनता के चलते बरेली विकास में पिछड़ता गया. बिजली, पानी, सड़कें, शिक्षा , चिकित्सा, बेरोजगारी यहां की प्रमुख समस्याएं थी. 2010 और 2012 में हुए दंगे ने बरेली को बदनाम कर दिया और लोग यहां व्यापार से डरने लगे. धार्मिक और अध्यात्म के लहजे से भी बरेली पूरी दुनिया में विख्यात है.
दरअसल, यहां चारों दिशाओं में भगवन भोले नाथ स्वम्भू प्रकट हुए और दरगाह आला हजरत और खान काहे नियाजिया भी हैं. पंडित राधेश्याम कथावाचक द्वारा लिखी गई रामायण भी पूरे विश्व में विख्यात है. चुन्ना मिया ने यहां पर ऐतिहासिक लक्ष्मी-नारायण मंदिर बनवाया जिसे चुन्ना मिया के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. आंवला तहसील के रामनगर में स्थित अहिक्ष्त्र का किला है, जिसका विवरण महाभारत में भी मिलता है. कहते है यहां आकर पांडव और द्रोपदी रहे थे. यहां पर जैन मंदिर भी है. जहां खान बहादुर खान ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजो के छक्के छुड़ा दिए थे.
बरेली की कैंट विधानसभा में आने वाला इलाका
कुतुबखाना चौराहा, शाहमतगंज, सिकलापुर, रोडवेज बस स्टैंड, घंटाघर, जिला अस्प्ताल, कचहरी, रामपुर गार्डन, नगर निगम, नावल्टी चौराहा, चौकी चौराहा, चौपला चौराहा, रेलवे स्टेशन जंक्शन, कैंट, सुभासनगर, मढ़ीनाथ, वंशीनगला, सिठौरा, बांस मंडी, एम.जे.पी. रोहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली कालेज.
बता दें कि यहां के विधायक हैं भाजपा से राजेश अग्रवाल, जो वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भी हैं. राजेश अग्रवाल बचपन से ही राष्ट्रीय स्वंम सेवक संघ से जुड़े हुए है. इन्होंने बीजेपी से पहली बार 1993 में, दूसरी बार 1996 में, तीसरी बार 2002 में , चौथी बार 2007 में और पांचवी बार 2012 में और छटी बार 2017 में, हर बार चुनाव जीता. 30 जुलाई 2004 से उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष पद पर निर्विरोध निर्वाचित हुए. 2017 के विधानसभा चुनाब में राजेश अग्रवाल ने कांग्रेस के मुजाहिद हसन को 112664 वोटों से हराया था. चुनाव जीतने के बाद उनको योगी सरकार में वित्त मंत्री भी बनाया गया था बाद में मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद 2020 में इनको भजपा का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाया गया है.