बरेली: ताउम्र बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करने के बाद भी बच्चे जीते जी माता-पिता को सुख नहीं दे पाते हैं और उनके मरने के बाद भी उनकी आत्मा को शान्ति नहीं दे पाते हैं. जिले के सिटी श्मशानघाट पर आज भी सैकड़ों अस्थियां अपनों का इंतजार कर रही हैं, लोग मृत्यु प्रमाण पत्र लेने तो आते हैं, लेकिन अस्थियों की कोई सुध नहीं लेता.
अपनों के इंतजार में अस्थियां
बरेली के सिटी श्मशानघाट पर आज भी हजारों की संख्या में अस्थियां अपनों के इंतजार में लटक रही हैं. मौत ने उन्हें चिर शांति तो दे दी लेकिन औलाद उनके अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी भी पूरी तरह नहीं निभा सकी. हम बात कर रहे हैं ऐसे कलयुगी औलादों की जिन्हें सिर्फ मां-बाप की दौलत से प्यार होता है. वो लोग अपने बुज़ुर्ग माता-पिता की अस्थियां लेने तो नहीं पहुंचे, लेकिन श्मशानघाट से उनका मृत्यु प्रमाण पत्र ले गए.
दरअसल मृत्यु प्रमाण पत्र हर तरह के कानूनी विवादों को निपटाने का आधार बनता है. मृत व्यक्ति के एकाउंट से रकम निकालने, संपत्ति को अपने नाम कराने या नगर निगम से आधिकारिक मृत्यु प्रमाण पत्र भी श्मसान भूमि से जारी प्रमाण पत्र के आधार पर ही बनता है. लिहाजा 90 फीसदी लोग 8 से 10 दिन के अंदर ही मृत्यु प्रमाण पत्र ले जाते हैं.