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कमाल का स्मार्ट डस्टबिन है भाई, मात्र 4 हजार रुपये में दो भाई बने वैज्ञानिक! - up news

उत्तर प्रदेश के बरेली में सीमित संसाधनों और वेस्ट मैटेरियल से दो छात्रों ने चलने वाला डस्टबिन तैयार किया है. इस डस्टबिन की चर्चाएं खूब हो रही है. इस अनोखे प्रोजेक्ट के लिए भारत सरकार ने छात्रों की हौसला अफजाई की. सरकार ने छात्रों को 10 हजार रूपये की धनराशि दी है.

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वेस्ट मैटेरियल से दो छात्रों ने बनाया स्मार्ट डस्टबिन

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Published : Feb 5, 2020, 5:51 AM IST

बरेली: अविष्कार करने वालों की कोई उम्र नहीं होती है. चाहे फिर वे 9वीं और 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र ही क्यों न हो. ऐसा ही कुछ अनोखा अविष्कार बरेली के दो छात्रों ने किया है. ललित और योगेश नाम के छात्रों ने एक ऐसा डस्टबिन को बनाया है, जो खुद चलकर आता है. कूड़े को फेंकने के लिये डस्टबिन का ढक्कन खुल जाता है. साथ ही साथ यह सेंसर युक्त डस्टबिन में आग, धुंआ और कूड़े से भी अलर्ट करता है. इस समय हर तरफ चलने वाले डस्टबिन की चर्चा हो रही है. इस अनूठे प्रोजेक्ट के लिए भारत सरकार ने छात्रों की हौसला अफजाई के लिए 10 हजार रूपये की धनराशि दी है.

वेस्ट मैटेरियल से दो छात्रों ने बनाया स्मार्ट डस्टबिन.

बरेली के रिठौरा के दरबारी लाल शर्मा इंटर कॉलेज के पढ़ने वाले दो छात्र
ललित कुमार कक्षा 10 का छात्र है. उसका छोटे भाई योगेश कुमार कक्षा 9. दोनों ने मिलकर यह डस्टबिन तैयार किया है. दोनों भाई यूट्यूब चैनल पर तरह-तरह के उपकरण देखा करते थे. इसी को देखते हुए दोनों के मन में डस्टबिन बनाने का ख्याल आया. दोनों अपने साइंस टीचर रघुवीर सरन की देखरेख में एक डस्टबिन बनाने में जुट गए. पूरे एक महीने की मेहनत के बाद छात्रों ने एक टॉय कार, खराब पड़ी मोबाइल बैटरी, आरसी कंट्रोलर और कुछ सामान अमेजॉन से मंगाकर एल्यूमीनियम तार की मदद से डस्टबिन बना लिया. डस्टबिन आरसी कंट्रोलर से चलता है. आरसी कंट्रोलर के सॉफ्टवेयर को दोनों ने मोबाइल के अंदर इंस्टॉल कर रखा है, जिसकी मदद से डस्टबिन चलकर आता है.

3 से 4 हजार रुपये में तैयार हुआ डस्टबिन
ललित कुमार और योगेश कुमार ने बताया कि डस्टबिन को तैयार करने में 3 हजार से 4 हजार का खर्च आया है. घर में खराब पड़ी चीजों से इसे बनाया गया है. टॉय कार के पार्टीकल को डस्टबीन चलाने में प्रयोग किया गया. डस्टबिन की खासियत यह है कि कचरे को देखते ही इसका ढक्कन खुल जाता है. इस डस्टबिन में फायर सेंसर अलार्म लगा हुआ है. अगर घर में आग लग जाती हैं तो डस्टबिन के अंदर लगी चिप में जो नंबर रजिस्टर्ड है, उस नंबर पर यह ऑटोमेटिकली कॉल भेजता है. आग लगने की सूचना देता है. साथ ही साथ घर के अंदर जो बुजुर्ग लोग हैं, वह अपने मोबाइल से इस डस्टबिन को अपने पास बुला सकते हैं. डस्टबिन में कचरा डाल सकते हैं.

3000 से 4000 में तैयार हुए डस्टबिन को छात्र हाईटेक बनाएंगे
छात्रों ने बताया कि अभी इसमें काफी काम बाकी है. डस्टबिन में कई बदलाव किए जाएंगे, जिससे वह लोगों के काम आ सकेगा. इस प्रयोग से भारत सरकार भी आश्चर्यचकित है. भारत सरकार ने बच्चों को 10 हजार रुपये की प्रोत्साहन धनराशि प्रदान की है.

कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. हरमीत सिंह और सभी अध्यापकों ने खुले दिल से छात्रों के स्वर्णिम भविष्य की कामना की. प्रधानाचार्य हरमीत सिंह ने सभी छात्र-छात्राओं को मेहनत कर सफलता के शिखर पर पहुंचने के लिए प्रेरित किया.

रघुवीर, अध्यापक

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