बरेली: रुहेलखंड विवि. छात्रों को पढ़ाएगा ट्रिपल तलाक कानून की बारीकियां
उत्तर प्रदेश का रुहेलखंड विश्वविद्यालय ऐसा पहला विश्वविद्यालय है, जहां ट्रिपल तलाक कानून को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. इसको देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले समय में और भी यूनिवर्सिटी इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला कर सकती हैं.
पाठ्यक्रम में ट्रिपल तलाक कानून शामिल.
बरेली: मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही मुस्लिम महिलाओं के लिए ट्रिपल तलाक बिल पेश किया था. दूसरी बार सत्ता में आते ही ट्रिपल तलाक पर कानून भी बना दिया. वहीं इसको महत्वपूर्ण मानते हुए रुहेलखंड यूनिवर्सिटी ने इसे अपने पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का फैसला किया है. यहां के लॉ स्टूडेंट्स अब तीन तलाक कानून पर पढ़ाई कर सकेंगे.
रुहेलखंड यूनिवर्सिटी ने इसी सत्र से तीन तलाक कानून पर पढ़ाई के साथ इस पर रिसर्च कराने का भी फैसला किया है. वहीं रिसर्च के बाद इसके रिजल्ट को सरकार के पास भेजा जाएगा, जिससे इसमें और सुधार किया जा सके.
एजुकेशनल कौंसिल की मिली मंजूरी
ईटीवी भारत ने जब रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के लॉ विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अमित सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि ट्रिपल तलाक को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए एजुकेशनल कौंसिल से बात की गई थी. अब कौंसिल की मंजूरी मिल गई है, जिसके बाद ही सिलेबस में शामिल किया जाएगा.
ईटीवी भारत ने जब रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के लॉ विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अमित सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि ट्रिपल तलाक को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए एजुकेशनल कौंसिल से बात की गई थी. अब कौंसिल की मंजूरी मिल गई है, जिसके बाद ही सिलेबस में शामिल किया जाएगा.
बना उत्तर भारत का पहला विश्वविद्यालय
डॉक्टर अमित सिंह ने बताया कि रुहेलखंड यूनिवर्सिटी उत्तर भारत और प्रदेश की पहली ऐसी यूनिवर्सिटी है, जहां तीन तलाक कानून को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है.
पढ़ाई के साथ-साथ रिसर्च भी
लॉ विभाग के हेड के अनुसार एलएलबी, एलएलएम और पीएचडी के स्टूडेंट्स अब तीन तलाक पर सिर्फ पढ़ाई ही नहीं बल्कि रिसर्च भी कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि इस कोर्स में शाहबानो केस से लेकर सभी मामले शामिल किए गए हैं.
हालात पर रखी जाएगी नजर
डॉक्टर अमित सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि तीन तलाक कानून आने से पहले देश में मुस्लिम महिलाओं की क्या दशा थी और कानून बनने के बाद दशा में क्या बदलाव हुआ इस पर शोध किए जाएंगे. अगले साल सरकार को इसके रिजल्ट भेजे जाएंगे. उन्होंने कहा कि अभी भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. इसलिये इस कानून पर काम किया जाना जरूरी है.