बरेली: भाई-बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन करीब आते ही राखियों को बनाने बालों का सीजन आ जाता है और वह चंद दिनों में रेशम की राखियां बनाकर अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं. बरेली में भी एक ऐसी छात्रा है जिसने एक स्वयं सहायता समूह बनाकर गांव की अनपढ़ महिलाओं को रोजगार देकर एक नया हुनर भी सिखाया है. आजकल वह रक्षाबंधन के लिए ऑर्डर पर राखियां तैयार कर रही हैं, जो महिलाएं कल तक घरों की चार दीवारी तक ही सीमित थी, वो आज राखियां बनाकर अपना काम कर अच्छा मुनाफा कमा रही है.
जिले के चैनपुर ब्लॉक के गांव फरीदापुर इनायत खां की रहने वाली ग्रेजुएशन की छात्रा पूजा वर्मा का सपना था कि वो कुछ ऐसा काम करें, ताकि गांव की महिलाओं को रोजगार दे सके. अपने सपने को साकार करने के लिए पूजा वर्मा ने अपराजिता महिला समूह बनाकर 11 महिलाओं को अपने साथ जोड़ा और फिर सपने को साकार करने के लिए खुद का रोजगार खड़ा किया. गांव की उन महिलाओं को गांव में ही रोजगार दिया जो घरों की चारदीवारी में रहकर चौका बर्तन तक ही सीमित थी. पर अब पूजा वर्मा की मेहनत के चलते स्वयं सहायता समूह के रूप में 11 महिलाओं ने अपना खुद का धंधा खड़ा कर लिया है, जिससे वह अच्छा मुनाफा कमाकर अपनी परिवार को चला रही हैं.
ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही पूजा वर्मा ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की ब्लॉक मैनेजर कविता गंगवार से मिलकर खुद का रोजगार करने के साथ अन्य गांव की महिलाओं को रोजगार देने के लिए मदद की मांग की. जिसके बाद कविता गंगवार ने फरीदापुर इनायत की रहने वाली पूजा वर्मा को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जोड़ा. इसके बाद पूजा वर्मा ने समूह बनाकर अपना काम करना शुरू किया.