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लुप्त होते शास्त्रीय संगीत को रिद्धिमा दे रहा नयी पहचान, जानें कैसे - disappearing classical music

श्री राममूर्ति स्मारक ट्रस्ट के अलखनंदा रिसॉर्ट में शनिवार को दो दिवसीय संगीत कार्यशाला का शुभारंभ ट्रस्ट के चेयरमैन देवमूर्ति और सचिव आदित्य मूर्ति ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. कार्यशाला में इटावा घराने के जाने माने सितार वादक शाकिर खान ने विद्यार्थियों को शास्त्रीय संगीत की बारीकियों से रूबरू कराया.

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लुप्त होते शास्त्रीय संगीत को रिद्धिमा दे रहा नयी पहचान

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Published : Mar 26, 2022, 9:24 PM IST

बरेली: श्रीराममूर्ति स्मारक ट्रस्ट के अलखनंदा रिसॉर्ट में शनिवार को दो दिवसीय संगीत कार्यशाला का शुभारंभ ट्रस्ट के चेयरमैन देवमूर्ति और सचिव आदित्य मूर्ति ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. कार्यशाला में इटावा घराने के जाने माने सितार वादक शाकिर खान ने विद्यार्थियों को शास्त्रीय संगीत की बारीकियों से रूबरू कराया.

लुप्त होते शास्त्रीय संगीत को रिद्धिमा दे रहा नयी पहचान

इस मौके पर देव मूर्ति ने कहा कि संगीत एक ऐसी कला है जो बिना गुरु के मार्गदर्शन के अधूरी भक्ति के समान है. संगीत साधना में वो शक्ति है जो किसी भी लड़ाई को समाप्त करने की क्षमता रखती है. भारत में संगीत का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है लेकिन आजकल के वेस्टर्न म्यूजिक ने शास्त्रीय संगीत को हाशिए पर लाने का काम किया है. ऐसे में भारतीय शास्त्रीय संगीत को संरक्षण देकर बढ़ाने की जरूरत है.

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आज की वर्कशॉप का मकसद शास्त्रीय संगीत को जीवित रखना है. सितार वादक शाकिर खान ने कहा कि विलुप्त होते शास्त्रीय संगीत को एसआरएमएस द्वारा बढ़ावा दिया जाना एक सराहनीय कदम है. कार्यशाला में मेडिकल कॉलेज, इंजिनियरिंग कॉलेज और रिद्धिमा के 40 विद्यार्थियों के साथ ही रिद्धिमा के गुरुओं और इंजिनियरिंग कॉलेज के डीन डॉ. प्रभाकर गुप्ता, रुचि शर्मा, आशीष कुमार ने भी इसमें भाग लिया.

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