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काम के बाद भी हाथ रह गए खाली, सुनें मजदूरों की जुबानी

कोरोनाकाल में बरेली में मनरेगा के तहत खाली हाथों को प्रशासन ने खूब काम दिया. लोगों ने भी प्रदेश से लौटकर इस तरफ रुचि दिखाई. अफसरों का दावा है कि इस बार करीब 38 लाख मानव दिवस काम दिया गया. यह पिछले वर्षों के सभी रिकॉर्ड को तोड़ता है, लेकिन समस्या अभी भी बनी हुई है.

मजदूर
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Published : Jan 12, 2021, 4:31 PM IST

बरेलीः लॉकडाउन के दौरान देशभर में मनरेगा के तहत बड़े पैमाने पर जरूरतमंदों को जोड़ा गया था. इससे खाली हाथों को काम मिल सके. आंकड़े भी कहते हैं कि बरेली में मनरेगा के तहत सबसे अधिक कार्य हुआ. अधिकारी भी स्वयं इसकी पुष्टि करते हैं, लेकिन अभी भी लॉकडाउन के दौरान काम किए मजदूरों को शत प्रतिशत भुगतान का इंतजार है.

मनरेगा में नहीं हुआ पूरा भुगतान.

नहीं हुआ पूरा भुगतान
गांव आसपुर पीतमराय के रहने वाले सतवीर कहते हैं कि जब कोरोना की वजह से हर कोई परेशान था, तब उनका भी हाल बुरा था. मनरेगा में उन्होंने इसी उम्मीद से मेहनत की थी कि उन्हें जो पैसा मिलेगा उससे उनकी रोजी-रोटी चलेगी, लेकिन अभी तक पूरे पैसै का भुगतान नहीं हो पाया है.

हालत नहीं सुधरे
मनरेगा में काम करने वाले एक अन्य मजदूर बब्लू ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान वह भी मनरेगा में काम किए, लेकिन पूरा भुगतान नहीं हुआ. बब्लू ने कहा कि हालत सुधरे नहीं हैं बल्कि पहले जैसे ही हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 4 महीने से वह इंतजार ही कर रहे हैं कि उनके बाकी पैसे का भुगतान एक दिन होगा, लेकिन अभी तक तो नहीं हुआ.

इतने मजदूरों ने किया काम
मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि लॉकडाउन से पूर्व के वर्ष में बरेली जिले में करीब 78 हजार परिवारों को मनरेगा से जोड़ा गया था. वहीं कोरोनाकाल से अब तक 1 लाख 64 हजार परिवारों को मनरेगा से जोड़ा गया. उन्होंने बताया कि पिछले साल में करीब 27 लाख मानव दिवस काम हुआ था, जबकि इस बार करीब 38 लाख मानव दिवस काम हुआ.

कोरोनाकाल में फंड की कोई समस्या नहीं थी. अगर कहीं भुगतान की शिकायत है, तो ऐसे में जांच कराकर मजदूरों की समस्याओं का निराकरण कराने का प्रयास करेंगे.
-चन्द्र मोहन गर्ग, सीडीओ

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