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मौलाना शहाबुद्दीन रजवी की अपील, जुलूसे मोहम्मदी में न लगाए सर तन से जुदा का नारा - Maulana Shahabuddin Rajvi

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने 'जुलूसे मौहम्मदी' को लेकर कहा कि जुलूस में डीजे बाजाना और उस पर थिरकना नाजायज है. साथ ही उन्होंने कहा कि जुलूस में सर तन से जुदा का नारा न लगाएं.

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मौलाना शहाबुद्दीन रजवी

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Published : Oct 8, 2022, 12:43 PM IST

बरेली:जनपद के ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (All India Muslim Jamaat) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी (Maulana Shahabuddin Rajvi) ने पैगम्बरे इस्लाम के जन्मदिन के मौके पर पूरे भारत में निकलने वाले 'जुलूसे मौहम्मदी' को लेकर कहा कि जुलूस में डीजे बाजाना और उस पर थिरकना नाजायज है. साथ ही पाकिस्तान से प्रमोट किए गए नारे 'सर तन से जुदा' के नारे को न लगाने की नौजवानों से अपील की है.

पैगम्बरे इस्लाम के जन्मदिन के मौके पर पूरे भारत में 'जुलूसे मौहम्मदी' बड़ी शान और शौकत के साथ निकाला जाता है. इस बार 9 अक्टूबर को ये जुलूस पूरे देश भर में निकाला जाएगा. देश के हालात को देखते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बयान जारी करते हुए मुस्लिम कौम के नौजवानों से अपील करते हुए कहा कि पाकिस्तान से प्रमोट होकर भारत में आया नारा 'सर तन से जुदा सर तन से जुदा' मुस्लिम नौजवान जुलूसे मौहम्मदी में न लगाएं. इस नारे की जगह हमारे बुजुर्गों द्वारा दिया गया नारा 'प्यारे नबी की है ये शान बच्चा बच्चा है कुर्बान' लगाएं, ये हिन्दुस्तानी नारा है. इस नारे में नबी के साथ बेपनाह मौहब्बत का इजहार होता है.

जानकारी देते हुए मौलाना शहाबुद्दीन रजवी

मौलाना ने कहा कि सर तन से जुदा वाला नारा गैर अखलाकी, गैर कानूनी और गैर शरई है. आला हजरत ने अपने फतवे में लिखा है कि कानून को अपने हाथ में लेना जायज नहीं है. सजा देने का अधिकार हुकूमत का है. किसी व्यक्ति को ये अधिकार नहीं दिया जाता कि वो खुद सजा मुकर्रर करें और खुद ही सजा दें, चाहे इस्लामी देश हो या लोकतांत्रिक देश हो.

मौलाना ने कहा कि जुलूसे मौहम्मदी को पैगम्बरे इस्लाम की सीरत की रौशनी में निकाला जाना चाहिए. जुलूस में मुकम्मल तरीके से शरीयत की रौशनी को रखा जाए. भाग लेने वाला हर व्यक्ति शरीयत की पाबंदी करे. डीजे बजाना, नात की कैसित पर रूमाल लहराकर थिरकना ये सब नाजायज कार्य है. इस तरह के काम करने से जुलूस की धार्मिक गरिमा को नुक्सान पहुंचाता है. सबाब के बजाए गुनह मिलता है. इसलिए जुलूस में कोई भी ऐसा कार्य न किया जाए, जो पैगम्बरे इस्लाम की शिक्षा के अनुसार नहीं है.

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