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Published : Dec 11, 2022, 6:55 PM IST

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समान नागरिक सहिंता अगर जबरन थोपी गई तो मुसलमान करेंगे विरोध: मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी

रेली में दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा है कि अगर समान नागरिकता संहिता कानून मुसलमानों पर थोपने का प्रयास किया गया, तो उसके खिलाफ कड़ा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी
मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी

बरेली:समान नागरिकता संहिता कानून को लेकर मुस्लिम लोगों ने विरोध प्रकट करना शुरू कर दिया है. इसी को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने दो टूक शब्दों में कहा है कि अगर समान नागरिकता संहिता कानून मुसलमानों पर थोपने का प्रयास किया गया, तो उसके खिलाफ कड़ा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.


काफी दिनों से देश में समान नागरिक सहिंता की चर्चा हो रही है. उत्तराखण्ड राज्य के चुनाव में ये मुद्दा बना था. उसके बाद हाल में हुए गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में भी मुद्दा बनाया गया. अब संसद में भी इस पर प्रस्ताव पेश किया गया है. दरगाह आला हजरत से जुडे़ संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अगर समान नागरिक सहिंता का कानून लागू किया जाता है तो देश में रहने वाले विभिन्न सम्प्रदाय के लोगों का सामाजिक ताना-बाना बिखर जाएगा.

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी
बरेली के दरगाह आला हजरत से जुड़े मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने हुकूमत से मुतालबा करते हुए कहा की संविधान ने बेशक राज्यों को समान नागरिक सहिंता लागू करने की इजाजत दी है मगर वहीं संविधान ने किसी समुदाय के धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचाने की बात भी कही है. ये भी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वो आवाम की राय हासिल करेंगे. अब ऐसी कंडीशन में हुकूमत आवाम पर जबरिया तौर पर इस कानून को आवाम पर नहीं थोप सकती.मौलाना ने आगे कहा कि हुकूमत को चाहिए कि वो पहले आवाम के सामने समान नागरिक सहिंता का खाका पेश करे कि इसकी जरूरत क्यों पेश आ रही है जबकि हिन्दू मैरिज एक्ट, मुस्लिम मैरिज एक्ट और स्पेशल मैरिज एक्ट पहले से ही मौजूद हैं. अगर आवाम पर जबरदस्ती ये कानून थोपा गया तो मुसलमान भारत में रह रहे दूसरे सम्प्रदाय के लोगों को यानी आदिवासी, दलितों, जैनियों, और सिक्खों को साथ लेकर एक बड़ा आन्दोलन चलाने पर मजबूर होगा. मुसलमानों के साथ ही दूसरे सम्प्रदाय के लोगों को इस कानून से गंभीर समस्याएं पैदा होने का खतरा है.

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