बरेली : श्रीराममूर्ति स्मारक कॉलेज ऑफ नर्सिंग में शनिवार को लैंप लाइटिंग एंड ओथ सेरेमनी हुई. जीएनएम के 18वें बैच और बीएससी नर्सिंग के सातवें बैच के विद्यार्थियों ने मानवसेवा की शपथ ली. एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देवमूर्ति और ट्रस्ट सचिव आदित्य मूर्ति ने विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दीं. उन्हें नर्सिंग में सफल होने के टिप्स भी दिए.
एसआरएमएस ट्रस्ट की ओर से बीएससी नर्सिंग के तीसरे वर्ष (2019) के छह मेधावियों को स्कालरशिप भी प्रदान की गई. क्विज और पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया. ओथ सेरेमनी के बाद नए बैच की फ्रेशर पार्टी हुई. इसमें विद्यार्थियों ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा प्रदर्शन किया. एसआरएमएस कॉलेज आफ इंजीनियरिंग, टेक्नोलाजी एंड रिसर्च स्थित आडिटोरियम में लैम्प लाइटिंग एंड ओथ सेरेमनी का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ. संस्थापक देवमूर्ति ने कहा कि नर्सिंग ही ऐसा प्रोफेशन है, जहां 18 वर्ष की नर्स भी बुजुर्ग मरीज के लिए मां बन जाती है. बच्चे की तरह वह मरीज को दवाइयों खिलाने से लेकर उसका पूरा ध्यान रखती है. दिन भर में डाक्टर अपने मरीज से मुश्किल से 20-25 मिनट मिल पाता है, लेकिन बाकी समय नर्स उसके साथ होती है. मरीज के स्वस्थ होने में 70 फीसद योगदान नर्स का ही होता है.
मरीज को स्वस्थ करने में नर्स की भूमिका अहम :एसआरएमएस ट्रस्ट के सचिव आदित्य मूर्ति ने ओथ सेरेमनी में शामिल सभी विद्यार्थियों और उनके परिजनों को बधाई दी. कहा कि इंसानियत की सेवा के इस प्रोफेशन को चुनना महान फैसला है. आप भाग्यशाली हैं कि ईश्वर ने आपको इस प्रोफेशन के जरिए समाजसेवा के लिए चुना है. उन्होंने अभिभावकों को भी भरोसा दिलाया कि आपके बच्चों का भविष्य एसआरएमएस में एकदम सुरक्षित है.कहा कि किसी भी नर्स को सिम्पैथी, एम्पैथी और स्किल काबिल बनाती हैं. उसका सतर्क और जागरूक रहना मरीजों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मरीज को रोगमुक्त करने में डाक्टर का इलाज जरूरी है, लेकिन उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है नर्स की ओर से मिलने वाली सिम्पैथी.