बरेली : महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केपी सिंह को लंदन की लिनियन सोसायटी ने अपना फेले बनाया है. इस बारे में महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय की तरफ से दी गयी जानकारी के मुताबिक केपी सिंह को लन्दन ब्रिटेन की सोसाइटी के चार्टर के अनुसार अपना फेलो (Fellow) बनाया है.
आप को बता दें कि लंदन की लिनियन सोसायटी प्राकृतिक इतिहास की एक विश्व प्रसिद्ध संस्था है. गौरतलब है कि प्रोफेसर केपी सिंह वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं परिणाम उन्मुख व्यक्ति हैं. उन्होंने नैनो बायो टेक्नोलॉजी क्षेत्र में अपने शोध कार्य किए हैं, जिसमें नैनोमेडिसिन, ड्रग डिलीवरी, मेंब्रेन विज्ञान, ग्राफीन बेस्ट नैनो मेटेरियल विज्ञान शामिल हैं.
जानिए क्या है लिनीयन सोसाइटी
आप को बता दें कि लिनियन सोसाइटी ऑफ लंदन विश्व की सबसे पुरानी प्राकतिक इतिहास की संस्था है. सन 1788 में सर जेम्स एडवर्ड स्मिथ के द्वारा यह स्थापित की गई. सर जेम्स एडवर्ड स्मिथ ही इसके पहले अध्यक्ष भी थे. इस सोसाइटी का नाम स्वीडिश प्राकृतिक विज्ञानी कार्ल लीनियस से प्रेरित है. उनका यह दृष्टिकोण था कि एक ऐसे विश्व की कल्पना साकार हो जहां प्रकृति को समझा, संरक्षण एवं महत्व दिया जाए. इस हेतु यह संस्था लोगों में जनजागृति, सहभागिता एवं उत्प्रेरण के माध्यम से लोगों को अपने साथ जोड़ती है. यह सम्मेलन एवं कार्यक्रम करवाती हैं एवं प्रकाशन करती है. यह विज्ञान संचार और विभिन्न विषयों के अंतर्गत अध्ययन का कार्य करती है. यह सोसाइटी वाद-विवाद, परिचर्चा का आयोजन करती है. प्राकृतिक इतिहास के विषयों पर जिसमें मुख्य रूप से विषय विज्ञान, पर्यावरण और उद्भव जीव विज्ञान शामिल है. लिनियन सोसाइटी द्वारा हाल ही के कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का हनन जिनसे की पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है के विषय में सशक्त कदम उठाए हैं. कुलपति केपी सिंह ने बताया कि सोसाइटी समर्पित है ऐसे कर्मठ लोगों के लिए जो प्राकृतिक इतिहास का अध्ययन करें और जैव विविधता में रुचि रखते हों.
सोसाइटी के फेलो प्रोफेसर केपी सिंह का परिचय
प्रोफेसर केपी सिंह दो विश्वविद्यालय के पूर्व में कुलपति रह चुके हैं. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार एवं महाराणा प्रताप हॉर्टिकल्चर विश्वविद्यालय करनाल, हरियाणा के वह कुलपति के रूप में कार्य कर चुके हैं. वर्तमान में प्रोफेसर सिंह महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली के कुलपति के पद पर हैं.
इसे भी पढ़ें-सिंधु जल आयोग की बैठक तय करेगा भारत-पाक के बीच बर्फ पिघली या नहीं
केपी सिंह की उपलब्धियां
इसके पूर्व वह बायो फिजिक्स डिपार्टमेंट गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय, पंतनगर में प्रोफेसर के पद पर कार्य कर चुके हैं. प्रोफेसर सिंह उत्तराखंड काउंसिल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के निर्देशक भी रह चुके हैं. प्रोफेसर सिंह को यंग साइंटिस्ट अवार्ड नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उनके राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शोध कार्यों के लिए पूर्व में प्रदान किया गया है. प्रोफेसर सिंह ने बायो मॉलिक्यूल, नैनोबॉयोसेंसर्स और नैनो सिगनलिंग के विषय पर शोध कार्य टेक्निकल यूनिवर्सिटी ब्रेटिस्लावा (स्लोवाकिया) से किया है. उन्होंने रूडर बोस्कोविक इंस्टीट्यूट क्रोएशिया (यूरोप) और क्रैनफील्ड यूनिवर्सिटी ब्रिटेन में भी शोध कार्य किया है. उन्होंने वर्ष 2005 में पंतनगर विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बायोफिजिक्स के रूप में कार्य किया है. उनके शोध के प्रमुख विषय बायोसेंसर्स, पॉलीमर्स, प्लास्टिक एंटीबॉडी, टार्गेटेड ड्रग, नैनोमेटेरियल्स, नैनो सिगनलिंग, बायो मेंब्रेन आदि रहे हैं.