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कैदियों को अवसाद मुक्त करने के लिए आयोजित किया गया जेल प्रीमियर लीग

सारा देश कोविड-19 से जूझ रहा है. ऐसे में कोरोना संक्रमण की वजह से जेल में बंद कैदियों को भी कहीं ना कहीं अवसाद झेलना पड़ रहा है. इस अवसाद की स्थिति से उभारने के लिए बरेली जिला कारागार के जेल अधीक्षक विजय विक्रम सिंह ने जेल प्रीमियर लीग का आयोजन कराया है.

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Published : Dec 26, 2020, 11:57 AM IST

Updated : Dec 27, 2020, 7:20 AM IST

जेल प्रीमियर लीग
जेल प्रीमियर लीग

बरेली: कोरोना काल में बंदियों से उनके परिजनों की मुलाकात पर पूरी तरह से ही रोक लगी हुई है. ऐसे में यहां के जेल प्रशासन ने जेल में ही खेल का आयोजन शुरू करा दिया है. यहां पर खेल का आयोजन इसलिए कराया जा रहा है ताकि कैदी अवसाद में न रहें. इसके लिए यहां जेल के अफसरों की ओर से बंदियों की अलग-अलग टीम बनाकर जेल प्रीमियर लीग कराई जा रही है. जिला कारागार के कैदी भी इस लीग में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.

कैदियों को अवसाद मुक्त करने के लिए आयोजित किया गया जेल प्रीमियर लीग.

अलग-अलग बैरकों के बंदियों की है सेपरेट टीम

जेल में बंदियों की प्रत्येक बैरक से अलग-अलग टीमों का चयन करने के बाद टीमें बनाई गई हैं. इस क्रिकेट टूर्नामेंट को जेल प्रीमियर लीग 2020 का नाम दिया गया है. अलग-अलग समय पर होने वाले मैच के दौरान अलग-अलग बैरक के ही बंदियों को भी मैच देखने के लिए आमंत्रित किया जाता है. ऐसे में जो बन्दी जिला कारागार में निरुद्ध हैं, उन्हें एक स्वस्थ माहौल देने की कोशिश जेल प्रशासन की ओर से देने की कोशिश का जा रही है.

खेल से अवसाद मुक्त करने की कोशिश.

जेल अधीक्षक विजय विक्रम सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से काफी समय से बंदियों के परिजनों की मुलाकात पर रोक लगी हुई है. उन्होंने बताया कि ऐसे में कहीं न कहीं जो बंदी चारदीवारी में अपने परिजनों से नहीं मिल पा रहे हैं, उससे उनके मन में कुंठा रहती है. शासन की गाइडलाइन के मुताबिक पूरी तरह से मुलाकात पर रोक लगी है. इसलिए उन्होंने जेल में क्रिकेट टूर्नामेंट कराने का निर्णय लिया, ताकि उनका मनोरंजन हो सके.

अलग अलग रंगों के दिए गए हैं ट्रैक सूट

इस टूर्नामेंट में खास बात यह है कि सभी बैरकों की टीम को अलग-अलग रंग के ट्रैक सूट उपलब्ध कराए गए हैं. इस क्रिकेट टूर्नामेंट में जेल की 8 टीमें हैं. हर टीम के खिलाड़ी जीत के लिए अपना पसीना बहा रहे हैं. वहीं दर्शक के तौर पर भी बन्दी अपना अवसाद भूलकर अपनी बैरक के खिलाड़ियों को हर बॉल पर उत्साहित करते रहते हैं.

कैदियों को दिए गए ट्रैक सूट.

अपनी-अपनी टीमों का मनोबल बढ़ा रहे कैदी

भले ही किसी न किसी अपराध की वजह से ये लोग जेल में निरुद्ध हों, लेकिन यहां के माहौल को बदलकर यहां पर कैदी अपनी-अपनी टीमों का मनोबल भी बढ़ाते दिखते हैं. जेल प्रशासन का मानना है कि जब कोई टीम जीतती है, तो उस बैरक के बन्दी भी उस वक्त बेहद खुश नजर आते हैं और एक-दूसरे को बधाई भी देते हैं. वहीं हारने पर अगली बार जीत का हौसला भी देते हैं.

दर्शक के रूप में कैदी बढ़ा रहे उत्साह.

जीत दर्ज करने वाली टीम को दी जाएगी ट्रॉफी

जेल अधीक्षक ने बताया कि जो टीम फाइनल में विजेता या उपविजेता रहेगी और जिन खिलाड़ियों का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहेगा, उन्हें ट्रॉफी दी जाएगी. साथ ही जेल प्रशासन की ओर से उनकी हौसला अफजाई भी की जाएगी. जिला जेल में होने वाली प्रीमियर लीग में बंदियों की कोई टीम हारे या जीते वह अलग विषय है. लेकिन इस टूनामेंट ने खेल के ही बहाने कई बंदियों को इस संकटकाल में मुस्कुराने का मौका दिया है. वहीं अपनों से दूर रहने का गम भी हल्का किया है.

विजेता और उपविजेता टीम को दिया जाएगा पुरस्कार.
Last Updated : Dec 27, 2020, 7:20 AM IST

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