बरेली: भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) ने बुधवार को अपना 131वां स्थापना दिवस वर्चुअल माध्यम से मनाया. इस दौरान संस्थान के एकेडमिक काउंसिल शोध सलाहकार समिति सदस्य, पूर्व निदेशक, वैज्ञानिक, पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के निदेशक और आईवीआरआई एवं क्षेत्रीय परिषद के संयुक्त निदेशक वर्चुअल माध्यम से समारोह में शामिल हुए. इस कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निदेशक डॉक्टर त्रिलोचन महापात्रा बतौर मुख्य अथिति शामिल हुए. सन् 1889 में पुणे की एक लैब से इस संस्थान का सफर शुरू हुआ था. आज ये पशु चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में देश का सबसे प्रसिद्ध संस्थान है.
IVRI ने मनाया 131वां स्थापना दिवस. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आईवीआरआई के डायरेक्टर डॉक्टर बीके मिश्रा ने बताया कि कोविड-19 के चलते संस्थान की स्थापना दिवस को वर्चुअल रूप में मनाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि संस्थान की यात्रा पुणे से प्रारंभ हुई थी और उत्तराखंड के मुक्तेश्वर परिसर में सन 1893 में इंपीरियल बैक्टीरियल की स्थापना की गई थी.
संस्थान ने अब तक बनाई हैं 50 से अधिक वैक्सीन पशुओं की बीमारी रीण्डरपेस्ट, कैटल प्लेग, रानीखेत, एप स्ट्रेन, शीप एंड गोट पॉक्स, ब्रूसेला, ऐन्थेरक्स एंड ड्यूरिन, सीबीपीपी आदि समेत करीब 50 से अधिक वैक्सीन यहां तैयार की जा चुकी हैं. आईवीआरआई के निदेशक डायरेक्टर डॉक्टर बीके मिश्रा ने बताया कि संस्थान ने अब तक कुल 1 लाख 60 हजार कोविड के मानव नमूनों व वन्यजीवों के 149 नमूनों का परीक्षण किया है.
IVRI में हैं 240 वैज्ञानिकसंस्थान के वैज्ञानिकों के द्वारा अब तक 370 शोध पत्र प्रकाशित किए गए हैं. संस्थान के द्वारा 8 मोबाइल ऐप अब तक विकसित किए जा चुके हैं, जिन्हें गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करके किसान लाभान्वित हो रहे हैं. वर्तमान में 240 वैज्ञानिक इस संस्थान में हैं. डॉक्टर बीके मिश्रा ने बताया कि संस्थान क्षेत्रीय परिषद द्वारा आर्थिक रूप से पिछड़े किसानों के लिए कई कार्यक्रम चलाता है.ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए डॉक्टर बीपी मिश्रा ने कहा कि मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में संस्थान के स्थापना दिवस पर सभी को बधाई दी है. उन्होंने कहा है कि संस्थान में पशुधन स्वास्थ्य शिक्षा एवं शोध में वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण कार्य किया है. उन्होंने कहा कि यह समय है जब हम अपने पूर्व निदेशकों, वैज्ञानिकों, अधिकारियों तथा कर्मचारियों का अभिनंदन करें, जिन्होंने संस्थान को ख्याति दिलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है.