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बरेली: ईरानी दूतावास का फ्रांस के खिलाफ फूटा गुस्सा

ईरानी काउंसलर अली जादे मूसावी बरेली में दरगाह-ए-आला हजरत पहुंचे. यहां उन्होंने शिया और सुन्नी मसलक के रहनुमाओं से लंबी मुलाकात के बाद विचार विमर्श किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि मुसलमानों के पैगम्बर के खिलाफ फ्रांस के राष्ट्रपति की टिप्पणी से समूचा मुस्लिम जगत स्तब्ध है.

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ईरानी दूतावास का फ्रांस के खिलाफ फूटा गुस्सा.

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Published : Nov 3, 2020, 2:12 PM IST

बरेली:ईरान के काउंसलर अली जादे मूसावी बरेली में दरगाह-ए-आला हजरत पहुंचे. यहां काउंसलर अली जादे मूसावी ने कहा कि मुसलमानों के पैगम्बर के खिलाफ फ्रांस के राष्ट्रपति की टिप्पणी से समूचा मुस्लिम जगत स्तब्ध है. इसके बाद उन्होंने ऑल इंडिया मिल्लत काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा से मुलाकात की. सुन्नी और शिया मसलक के रहनुमाओं ने लम्बी मुलाकात के दौरान विचार-विमर्श किया. इसके बाद कई बिंदुओं पर संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पत्रकारों को सम्बोधित किया.

ईरानी दूतावास का फ्रांस के खिलाफ फूटा गुस्सा.

काउंसलर अली जादे मूसावी ने कहा कि आज आतंकवाद से समूचा विश्व जूझ रहा है. विश्व के अधिकतर देश आतंकवाद के खिलाफ मुखर हो रहे हैं. अरब और यूरोप में कई देश हैं, जहां आतंकवाद ने अपनी गहरी जड़ें जमा ली हैं, जिन्हें उखाड़ना मुश्किल हो रहा है. ऐसे नाज़ुक समय में हम आतंकवाद का विरोध करते हैं. आतंकवाद के विरोध में जब कभी मौलाना तौकीर रजा आतंकवाद के खिलाफ आंदोलन करते हैं या कोई आवाज बुलंद करते हैं, तो उन्हें पुरजोर समर्थन करेंगे.

आतंकवादी गतिविधियों के विरुद्ध मुस्लिम देश प्रयासरत

उन्होंने आगे कहा कि फिलिस्तीन में दाइश की आतंकवादी गतिविधियों के विरुद्ध मुस्लिम देश अभियान के रूप में प्रयास कर रहे हैं. वहां बैतूल मुकद्दस को आजाद कराने के लिए हजारों मुसलमानों ने अपनी जान की बाजी लगा दी है. आज भी बैतूल मुकद्दस को आजाद कराने के लिए जो प्रयास हो रहे हैं, हम उनका समर्थन करते हैं.

पैगम्बर के खिलाफ टिप्पणी से मुस्लिम जगत स्तब्ध

काउंसलर अली जादे मूसावी ने कहा कि मुसलमानों के पैगम्बर के खिलाफ फ्रांस के राष्ट्रपति की टिप्पणी से समूचा मुस्लिम जगत स्तब्ध है. यूरोपियन देश पूरी दुनिया में स्वयं को सहिष्णु साबित करने का दावा करते हैं और खुद को धर्मनिरपेक्षता का अलंबरदार साबित करने की कोशिश करते हैं, लेकिन जब कभी इस्लाम और पैगम्बर के खिलाफ कोई शिगूफा छोड़ने का मामला आता है, तो कभी पीछे नहीं रहते. जब इस शिगूफेबाजी के बाद बवाल होता है तो अपनी नापाक हरकत को अभिव्यक्ति की आजादी का नाम देकर अपनी हरकतों को सही साबित करने की कोशिश करते हैं.

दोनों देशों की साहित्यिक सभ्यता का हो आदान-प्रदान

उन्होंने बरेली में सुन्नी मरकज दरगाह आला हजरत के संबंध में कहा कि ईरान में सुन्नी मसलक के बहुत से मदरसे चल रहे हैं. जहां के छात्र बरेलवी मसलक के साहित्य का अध्ययन करना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच सामंजस्य स्थापित करके ईरान के छात्रों को बरेली आकर यहां के छात्रों के साथ संयुक्त अध्ययन का मौका मिले और दोनों देशों की साहित्यिक सभ्यता का आदान-प्रदान हो.

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