बरेली: बरेली शहर कई मायनों में खास है, यहां के झुमके, सुरमा और यहां की पतंगों का कोई सानी नहीं है. इतना ही नहीं यहां की जरी और जरदोजी का काम भी विख्यात है. यहां के बांस और बेंत के आइटम भी दुनिया भर में खूब पसंद किए जाते हैं. मगर पन्नों पर स्मार्ट बन रहे इस शहर के अधिकारी इसको स्मार्ट बनाने के साथ ही इसके विकास को लेकर गम्भीर नजर नहीं आ रहे हैं. जिम्मेदार अफसरों के ढुलमुल रवैए की वजह से बरेली को तीन साल बाद भी वह पहचान नहीं मिल पाई, जिसको लेकर बड़े-बड़े दावे यहां के अधिकारियों के द्वारा किए जा रहे थे. दरअसल मानसून सिर पर है और अधिकारी अभी रेनी सीजन को लेकर प्लान ही बना रहे हैं.
आवाजाही में हो रहीं दिक्कतें
दरअसल, हम आपको बता दें कि स्थानीय नागरिकों और शहर में आने वाले लोगों को हर दिन यहां तमाम दिक्कतें उठानी पड़ती हैं. क्योंकि यहां न सिर्फ सड़कों की हालत खस्ता हैं. बल्कि चौक-चौराहों पर अक्सर जाम लगा रहता है. बता दें कि साल 2018 में बरेली को स्मार्ट सिटी के तौर पर चुना गया था, लेकिन इस बीच यहां कुछ फ्लाईओवर का निर्माण हुआ, मगर उनमें भी आज सालों बाद कई अभी तक अधूरे ही हैं.
शहरवासियों में है गुस्सा
स्थानीय लोग कहते है कि फ्लाईओवर के अलावा ऐसा कुछ नहीं है, जिसको अफसर अपनी उपलब्धि में गिना सकें. युवा समाजसेवी व उधमी आशीष जौहरी कहते हैं कि जिले के सांसद के कैम्प कार्यलय के सामने की सड़क पर वर्षों से चलना दूभर है. लेकिन केन्दीय मंत्री होने के बावजूद सन्तोष गंगवार ने कभी उसको दुरुस्त नहीं कराया, जबकि अक्सर लोगों को परेशानियों से दो चार होना पड़ता है.
बरसात में पानी के निकासी का नहीं है कोई प्लान
शहर में पिछले कई दिन बारिश हुई है. जिसके बाद चौक-चौराहों पर घंटों लोगों को पानी के बीच से निकलना पड़ रहा है. इतना ही नहीं चौक चौराहों पर चल रहे सीवर के लिए खुदाई के कार्यों की वजह से कई लोग वाहन समेत फिसलते भी देखे गए. अब जब बरसात सिर पर है, कभी भी जमकर बारिश हो सकती है. जिसको लेकर शहर के लोग बेहद परेशान और गुस्से में हैं. लोगों का कहना है कि बरेली की जो एक पहचान हुआ करती थी वो शहर खो चुका है. बता दें कि एक समय था जब आस-पास के जनपदों से लोग यहां खरीदारी करने आते थे, मगर अब यहां कभी भी जाम लग जाता जिसकी वजह से बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
अधिकरियों के प्रति लोगों में है नाराजगी
शहरवासी कहते हैं कि गली मोहल्लोम में नालियां चोक हैं. जबकि अधिकारी बताते है कि वो नालों-नालियों का सर्वे पूरा कर चुके हैं. बरसात के मद्देनजर कार्य जारी हैं. बहरहाल दावे जो भी हो लेकिन शहर वासी खासे परेशान हैं. अब अहम बात ये है कि भले ही पूर्व केंद्रीय मंत्री सन्तोष गंगवार ने अपने संसदीय क्षेत्र के बरेली शहर को स्मार्ट सिटी के लिए चयन कराया हो, लेकिन वो भी मंत्री पद छोड़ चुके हैं, ऐसे में अब ये प्रोजेक्ट भविष्य में कैसे परवान चढ़ेगा ये भी गौर करने वाली बात होगी.