बरेलीः उच्च शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय अब यूजीसी की नई शिक्षा नीति के तहत कार्य करने की तैयारी में है. विश्वविद्यालय अब सभी विषयों के प्रथम पत्र की परीक्षाएं ओएमआर पर आधारित कराने की तैयारी में जुट गया है.
ओएमआर आधारित होगी परीक्षा
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत परीक्षा व्यवस्था में भी सुधार किया जा रहा है. इस बारे यूनिवर्सिटी में विषय पाठ्यक्रम समिति की बैठक भी की जा चुकी है. विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि प्रत्येक विषय का पहला प्रश्न पत्र OMR (ऑप्टिकल मार्क रीडर) सीट के माध्यम से लिया जाएगा.
इस पद्द्ति पर कार्य करने वाला MJPRU दूसरा विश्वविद्यालय
महात्मा ज्योतिबा फूले रुहेलखण्ड यूनिवर्सिटी इस तरफ लगातार आगे बढ़ रही है. प्रदेशभर की अगर बात की जाए तो अभी तक सिर्फ लखनऊ यूनिवर्सिटी ही इस बारे में कार्य कर पाई है. विश्वविद्यालय प्रशासन की मानें तो प्रदेश में रुहेलखण्ड यूनिवर्सिटी इस दिशा में काम करने वाली दूसरी यूनिवर्सिटी हाल फिलहाल है.
परीक्षाओं में महत्वपूर्ण सुधार करने को नई नीति में की गई है अनुशंसा
विश्वविद्यालय मानता है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत इस बारे में जो दिशा निर्देश दिए गए थे. उनमें परीक्षाओं में महत्वपूर्ण सुधार के लिए अनुशंसा की गई है. उनमें से एक ये है कि जितनी भी परीक्षा की जाएं, उनमें ऑनलाइन मोड़ अपनाया जाए. साथ ही रिजल्ट भी त्वरित घोषित होंगे, ताकि परिणाम आने की वजह से अगले सत्र पर कोई प्रभाव न पड़े.
छात्र भी कर रहे इस पद्धति का स्वागत
ईटीवी भारत से विश्वविद्यालय कैम्पस में अध्य्यनरत छात्रों ने बात की. इस बारे में स्टूडेंट्स का कहना है कि यह उनके लिए काफी फायदेमंद रहेगा. छात्रों का कहना है कि अब तक ऐसा भी होता था कि पांच नंबर के सवाल पर उन्हें कई बार दो या तीन नंबर मिल जाया करते थे, लेकिन अगर वह सही करेंगे तो उन्हें उसमें शत-प्रतिशत नंबर मिलेंगे. यह न सिर्फ हितकारी है, बल्कि पूरी तरह से समय की बचत करने वाला भी है. साथ ही इससे नकल पर रोक लगेगी.
रुहेलखंड विश्वविद्यालय के परिसर में मौजूद छात्र. 9 जिलों में हैं रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेज
प्रदेश के 9 जिलों में महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेज संचालित हैं. इनमें प्रत्येक वर्ष करीब पौने दो लाख नए प्रवेश होते हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत यूजीसी ने हाल ही में विश्वविद्यालयों को इस संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश दिए थे. विश्वविद्यालय ने सभी तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं. अगले सत्र से ओएमआर पर आधारित परीक्षाओं का आयोजन कराने को अंतिम मुहर लगनी बाकी है.