बरेली:महात्मा ज्योतिबा फूले रुहेलखंड विश्वविद्यालय प्रशासन को अब तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा. इस साल कोरोना के कारण यूनिवर्सिटी की स्नातक और परास्नातक की परीक्षाओं पर रोक लगी हुई है. शासन ने अब अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के लिए साफ निर्देश जारी कर दिये हैं. वहीं फर्स्ट और सेकंड ईयर के छात्रों को पिछले साल की अंकों के आधार पर प्रमोट कर दिया जाएगा. वहीं अंतिम वर्ष के छात्र-छात्राओं की परीक्षा कराना सबसे बड़ी चुनौती होगी. इस मामले में यूजीसी ने परीक्षा कराने और छात्रों को बिना परीक्षा के किस नियम से प्रमोट करना है. यह सब जानकारी सभी विश्वविद्यालय को भेज दी है.
रुहेलखंड विश्वविद्यालय में सितंबर से होंगी परीक्षाएं, यूजीसी ने जारी की गाइडलाइन - कोरोना वायरस
महात्मा ज्योतिबा फूले रुहेलखंड विश्वविद्यालय में शासन ने अब अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के लिए साफ निर्देश जारी कर दिये हैं. वहीं फर्स्ट और सेकंड ईयर के छात्रों को पिछले साल की अंकों के आधार पर प्रमोट कर दिया जाएगा.
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रजिस्ट्रार सुनीता पांडेय ने बताया कि उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को अंतिम वर्ष में परीक्षा कराने के लिये निर्देश दिये हैं. विश्वविद्यालय को सितंबर में परीक्षा कराकर अक्टूबर तक रिजल्ट जारी करना ही होगा. कोरोना के कारण विश्वविद्यालय की स्नातक और परास्नातक की परीक्षाओं पर रोक लगा दी थी. ऐसे में विश्वविद्यालय ने परीक्षा कराये बिना ही छात्रों को प्रमोट करने के लिए सुझाव मांगा था, लेकिन यूजीसी ने अंतिम वर्ष के छात्र-छात्रों की परीक्षा अनिवार्य रूप से कराने के लिए निर्देश दिए हैं. यूनिवर्सिटी में कई ऐसे यूजी और पीजी के प्रोफेशनल कोर्स संचालित हो रहे हैं, जोकि एकल विषय हैं. इनमें छात्रों की संख्या भी सीमित है. ऐसे में इनमें पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को प्रमोट करने के लिए यूनिवर्सिटी के सामने एक और चुनौती आ रही थी, लेकिन अब परीक्षा का रास्ता साफ हो गया है.
यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि स्नातक और परास्नातक के प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्र-छात्राओं के पिछले वर्ष के प्राप्त अंकों के आधार पर अनुपात अंक देकर प्रमोट कर दिया जाएगा. यह नियम सिर्फ फर्स्ट और सेकंड ईयर के छात्र-छात्राओं के लिए ही लागू होगा. रुहेलखंड विश्वविद्यालय में हर साल हजारों छात्रों को परीक्षा दोबारा देने का मौका मिलता था. हर साल ऐसे छात्र परीक्षा में शामिल होते थे, जिनके नंबर कम आए थे या फिर जो 1 या 2 विषयों में फेल हो गए थे. ऐसे छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाता था, जिससे कि छात्रों को दोबारा से परीक्षा में पास होने का मौका मिलता था. इस बार छात्रों को मुख्य परीक्षा के बाद विद्यालय परीक्षा सुधार का मौका देगा.