उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

पंचायत चुनाव पर पंचायती राज मंत्री से ETV भारत की खास बातचीत - त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव

प्रदेश के पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र चौधरी शनिवार को बरेली पहुंचे. बरेली में उन्होंने आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के संबंध में जिले के कार्यकर्ताओं संग पार्टी कार्यालय पर बैठक की. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को कराने की योजना पर भी विस्तार से चर्चा की. कृषि कानूनों के वापसी की मांग को गलत बताते हुए कृषि कानूनों को किसानों के हित में बताया.

पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र चौधरी
पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र चौधरी

By

Published : Jan 9, 2021, 10:22 PM IST

बरेलीः प्रदेश के पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र चौधरी शनिवार को बरेली पहुंचे. इस दौरान उन्होंने जिला पार्टी कार्यालय पर पहुंचकर त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर कार्यकर्ताओं के संग बैठक की. इस मौके पर उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि 15 फरवरी तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी और मार्च के अंत में या अप्रैल के पहले सप्ताह में चुनाव कराने की योजना है. उन्होंने कहा कि अगले चरण में 21 दिन की अधिसूचना के बाद क्षेत्र पंचायत के प्रमुख का चुनाव और फिर मई के अंत में जिला पंचायत का चुनाव संपन्न कराया जाएगा.

पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र चौधरी से खास बातचीत.

नहीं मिलेगा पार्टी का सिंबल
पंचायतीराज मंत्री ने बताया कि पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को चुनाव में उतारेगी हालांकि उन्होंने यह भी जानकारी दी की सिंबल नहीं दिए जाएंगे, लेकिन पार्टी के समर्थित प्रत्याशी रहेंगे. बरेली में पार्टी वर्कर्स की त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर होने वाली बैठक के दौरान कार्यकर्ताओं को तैयारी में जोर शोर जुट जाने के लिए कहा.

प्रदेश सरकार में मंत्री भूपेंद्र चौधरी एक सवाल के जवाब के बारे में बताया कि पार्टी चुनावों में जिन-जिन का समर्थन करेगी उसके चयन के लिए जिलेवार अलग से टीमें गठित की जा चुकी हैं. त्रिस्तरीय चुनावों में प्रदेशभर में पार्टी इस चुनाव में कार्यकर्ताओं का समर्थन करेगी. उन्होंने बताया कि देश और प्रदेश में जिस तरह से सरकार काम कर रही है, उसके आधार पर समर्थित कार्यकर्ता जनता के बीच जाएंगे और उन्हें उम्मीद है कि प्रदेशभर में पंचायत चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी का झंडा बुलंद रहेगा.

तीन स्तर पर प्रदेश में होगा परिसीमन
मंत्री ने बताया कि तीन स्तर पर प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर परिसीमन होना है, उन्होंने बताया कि ऐसे 25 जिले हैं जिनमें सीमा विस्तार में ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में परिसीमन हुए हैं. जानकारी देते हुए बताया कि 4 जिले ऐसे हैं जहां 2015 में परिसीमन नहीं हुआ था, जिनमें मुरादाबाद, संभल, गोंडा और गौतमबुद्धनगर है. वहीं शेष जिले ऐसे हैं जहां 21 दिसम्बर को मंत्रिमंडल के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों, ग्राम सभाओं को कुछ नगरीय क्षेत्रों में सम्मिलित किया, जहां नगर पंचायतें और नगर पालिकाएं सृजित की गई हैं. ऐसे सभी जिलों पर 16 जनवरी तक परिसीमन का कार्य पूर्ण हो जाएगा.

इन चरणों में होंगे चुनाव
20 जनवरी के बाद विभाग आरक्षण की प्रक्रिया शुरू कर देंगे. जिला पंचायत आरक्षण का केंद्र राज्य होगा जबकि शेष चुनावों की कार्यवाही जिले स्तर पर सम्पादित की जाएगी. उन्होंने बताया कि वह मानकर चल रहे हैं कि 15 फरवरी तक आरक्षण की प्रक्रिया पूर्ण कर लेंगे. अधिसूचना जारी कर दी जाएगी और मार्च के आखिर या अप्रैल के शुरुआती सप्ताह तक चुनाव सम्पादित हो जाएंगे. 21 दिन की अधिसूचना के बाद ब्लॉक प्रमुख के चुनाव सम्पादित हो जाएंगे. उन्होंने बताया कि उसके बाद 21 दिन की अधिसूचना के बाद जिला पंचायत के अध्यक्ष का चुनाव सम्पादित हो जाएगा. वह मानते हैं कि मई के अंत तक ये चुनाव सम्पादित करा दिए जाएंगे.

एजेंडे के तहत हो रहा आंदोलन
दिल्ली में किसानों के आंदोलन पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग एजेंडे के साथ बैठे हैं. सरकार सारे विषयों पर चर्चा करने को तैयार है संसोधन को भी तैयार है लेकिन जो लोग धरने पर बैठे हैं. वह कानून वापिस करने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता कि सरकार कानून वापस ले सकती है. पंचायती राज मंत्री ने कहा कि किसानों के हित के लिए केंद्र सरकार ये कानून लेकर आई है किसानों को डरने की जरूरत नहीं है.

विपक्ष पर बोला हमला
उन्होंने कहा कि नेता लोगों ने अपनी दुकान चलाने के लिए अपनी खिसकती जमीन को बचाने के लिए किसानों को गुमराह करके धरने पर बैठा रखा है. खुद को किसान बताते हुए मंत्री भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि वह भी किसान हैं और किसान के हितों को देखते हुए ही पीएम मोदी के द्वारा ये कानून लाये गए हैं. उन्होंने कहा कि किसानों को सोच समझकर विचार करना चाहिए. क्योंकि किसानों के हित में ये कृषि कानून हैं और सोच समझकर किसानों को अपना आंदोलन समाप्त करना चाहिए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details