बरेलीः राज्य सरकार की मत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक बेसहारा गोवंश संरक्षण योजना भी है. लेकिन बरेली की सड़कों को पर टैगिंग के बावजूद गोवंश घूमते नज़र आ जायेंगे. वहीं अफसरों का दावा ये है कि कोई गोवंश खुले में नहीं घूम रहा है. ईटीवी भारत ने बरेली महानगर में इसी ख़बर का रियलिटी चैक किया, तो पाया कि अनेकों गोवंश सड़कों पर कूड़े की ढेर से लेकर गंदगी में मुंह मारते देखे जा सकते हैं.
कान में टैग लटकाए बेसहारा सड़कों पर घूम रहे गोवंश सीएम की योजना गोवंश को मिले आश्रय
सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बेसहारा गोवंशों को संरक्षित करने के लिए महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत काफी समय पूर्व की थी. उनका मकसद था कि सड़कों, चौराहों पर घूम रहे गोवंश को आश्रय स्थल मिल जायेगा.
बरेली में निकल रही सरकारी दावों की हवा
प्रदेश सरकार ने गोवंश के संरक्षण के लिये ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी इलाकों तक में गोशालाओं की स्थापना के लिए फंड जारी किया. वहीं अधिकारियों का दावा है कि जिले में कई बड़ी गोशालायें बनाई भी जा रही हैं. लेकिन इसके बावजूद सड़कों पर गोवंश टहलते हुए मिल जायेंगे.
गोवंशों की करायी गयी टैगिंग
इस बारे में जिले के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी का ये भी दावा है कि जिले में गोवंशों को संरक्षित करने को शासन की मंशा के मुताबिक कार्य किये जा रहे हैं. उनकी जिले में टैगिंग कराई जा रही है.
ईयर टैग से गोवंशों की है निश्चित पहचान
अफसरों का दावा है कि गोवंशों को टैग लगाये गये हैं. सभी गोवंशों को पशुपालकों के आधार कार्ड से जोड़ा गया है, इसके साथ ही जो गोवंश गौ आश्रय स्थलों में रह रहे हैं उनकी भी एक अपनी निश्चित पहचान इन टैग की वजह से है.
अफसरों के खोखले दावे, सड़कों पर घूम रहे कान में लगे टैग वाले गोवंश
अफसरों का दावा ये भी है कि जिले में ऐसा कोई गोवंश जिन्हें टैग लगाया है, वो कहीं घूम ही नहीं रहा, लेकिन बरेली में देखा जा सकता है कि किसतरह आएदिन ये गोवंश अपनी पहचान के साथ सड़कों पर घूम रहे हैं।
कई बार हो चुके हैं जिले में हादसे
महानगरवासियों की मानें तो आए दिन आवारा घूमने वाले गोवंशों की वजह से कई बार हादसे तक भी हो चुके हैं. लापरवाही का खामियाजा लोगों को उठाना पड़ रहा है.
अफसरों का कहना है कि शहर में एक भी टैग लगा गोवंश कहीं नहीं घूम रहा. उनका ये भी कहना है कि अगर कहीं गोवंश घूमते मिलेंगे, खासतौर से जिनके कान में एक निश्चित पहचान नम्बर है, तो सम्बन्धित के खिलाफ शिनाख्त होने के बाद मुकदमा पंजीकृत करने का प्रावधान है. हालांकि जिलेभर में गोवंश खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन अफसरों को ढूंढे नहीं मिल रहे. यानि लापरवाही यहां चरम पर है.