बरेली :बरेली के मीरगंज में किच्छा नदी पर बना पुल सचमुच भगवान भरोसे ही चल रहा है. पिछले साल अक्टूबर में किच्छा नदी में आई बाढ़ के कारण नगरिया सोबरनी-दुनका रोड पर सुकटिया गांव के समीप बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया था. पुल टूटने के 10 महीने बाद भी पीडब्ल्यूडी और जिला प्रशासन ने इसे दुरुस्त करने की जहमत नहीं उठाई. इस बार उत्तरप्रदेश में उम्मीद से कम बारिश हुई है. अगर सामान्य बारिश भी होती इस पुल पर आवागमन बंद हो जाता.
इस क्षेत्र में रहने वाले पप्पू शर्मा ने बताया कि पिछले साल की बाढ़ के कारण सुकटिया गांव का संपर्क भी कट गया था. इसके अलावा बाढ़ से नगरिया कलां, बैरमनगर,रजपुरा,बरीपुरा,डूंगरपुर देहात, बिहारीपुर, भमौरा, समेत तमाम गांव प्रभावित हुए थे. गरिया सोबरनी, दुनका मार्ग भी गड्ढों में तब्दील हो गया था. रोड बदहाल होने के कारण लोगों को दूसरे रास्तों से आना-जाना पड़ता है. वर्ष 2015 में करोड़ों की लागत से पुल का निर्माण किया गया था. मगर करीब 5 साल बाद ही पुल की हालत खराब हो गई.
ग्रामीणों ने जर्जर पुल के खतरे के बारे में बताया कि मीरगंज थाना क्षेत्र के गांव भैरपुरा निवासी जैनेन्द्र सिंह अपनी रिश्तेदारी में गए थे. वह दुनका पुल के पास टूटे पुल और सड़क होने की वजह से वह नीचे नदी में जा गिरे और गंभीर रूप से घायल हो गए. बाद में जैनेंद्र सिंह की मौत हो गई. 2021 के मार्च महीने में गांव बफरी बुजुर्ग के लीलाधर भी जर्जर पुल और खराब सड़क का शिकार बन गए थे. लीलाधर जब शेरगढ़ से घर लौट रहे थे तो अंधेरे की वजह से उन्हें रोड दिखाई नहीं दिया. वह नदी में जा गिरे, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी.