उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

बरेली: जन्म के तुरंत बाद शिशु के गर्भनाल काटने पर लगेगी रोक

उत्तर प्रदेश के बरेली में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत शिशु जन्म के तुरंत बाद गर्भनाल काटने पर रोक लगा दी गई है. सभी राज्यों को गुजरात मॉडल अपनाने की सलाह दी गई. स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक मनोज झालानी ने गर्भनाल काटने में देरी के फायदे बताए हैं.

etv bharat
जन्म के बाद शिशु की गर्भनाल काटने पर लगी रोक

By

Published : Jan 11, 2020, 9:53 AM IST

बरेली: बच्चों के बेहतर शारीरिक-मानसिक विकास के लिए केंद्र सरकार शिशु जन्म के तुरंत बाद गर्भनाल काटने की प्रचलित आदत पर रोक लगाने में जुट गई है. इसके लिए सभी राज्यों को गुजरात मॉडल अपनाने की सलाह दी गई है. वहां पर गर्भनाल को मां के शरीर से पूरी तरह बाहर आने के बाद ही काटा जाता है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक मनोज झालानी ने राज्यों को लिखे पत्र में नाल काटने में देरी के फायदे बताए हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने सभी सम्मेलनों में भी इस पर चर्चा होगी.

जन्म के बाद शिशु की गर्भनाल काटने पर लगी रोक

जन्म के एक मिनट के बाद काटें गर्भनाल
जिला अस्पताल की सीएमएस अलका शर्मा ने भी माना कि अंतरराष्ट्रीय मानक के मुताबिक नाल जन्म के कम से कम एक मिनट बाद काटना चाहिए. गुजरात में एक कदम आगे जाकर इसे बाहर आने तक न काटने की प्रक्रिया अपनाई जाती है. इसका असर भी दिख रहा है.

भविष्य में नहीं होतीं स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
बाल रोग विशेषज्ञ के डॉक्टर अतुल कहते हैं कि गर्भनाल काटने में थोड़ा विलंब बच्चों के भविष्य के लिए बेहद अहम है. देर से नाल काटने पर बच्चा पूर्णतया स्वस्थ रहता है. आगे भविष्य में उसे किसी प्रकार की कोई प्रॉब्लम स्वास्थ संबंधी कोई प्रॉब्लम नहीं होती है.

थोड़ी सी देरी शिशु की सेहत सुधारेगी

  • शिश के शरीर को पर्याप्त रक्त मिलने से ब्लड प्रेशर और आयरन का स्तर सही रहता है.
  • मस्तिष्क को अधिक मात्रा में ऑक्सीजन मिलने से मानसिक विकास भी बेहतर होता है
  • समयपूर्व जन्मे बच्चे को ब्रेन हैमरेज का खतरा नहीं रहता , प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.


जिस तरह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार बच्चे की गर्भनाल बाहर निकलने के बाद काटी जाती है. गुजरात मॉडल भी उसी पर काम करता है. वहीं गुजरात मॉडल प्रत्येक राज्य में लागू करने के लिए दिशा निर्देश दिए गए हैं, जिसमें सबसे ज्यादा फायदा नवजात शिशु को होगा भविष्य में उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कम होंगी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details