बरेलीः जीवन की कितनी भी बाधाएं आएं, लेकिन अगर कुछ कर गुजरने का जोश और जूनून हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है. कुछ ऐसी ही कहानी बरेली के 35 साल के कौशल की है. कौशल सिसोदिया यूं तो जन्म से ही नेत्रहीन हैं. लेकिन इसके बावजूद वो युवाओं को संगीत की शिक्षा देते हैं.
संगीत को बनाया पैशन
कौशल काफी लंबे समय से संगीत साधना में लगे हैं. उन्होंने संगीत को अपना पैशन बना लिया है. इतना ही नहीं दृष्टिहीन होने के बावजूद कौशल लगातार संगीत में रुचि रखने वाले लोगों को संगीत की शिक्षा भी दे रहे हैं. उनसे शिक्षा लेने वाले कई शिष्य तो कई टीवी शो से लेकर अलग-अलग म्यूजिक के एलबम तक भी अब तैयार कर रहे हैं.
युवाओं के लिए मार्गदर्शक हैं कौशल
बरेली के संयजनगर कॉलोनी में रहने वाले कौशल जन्म से ही दृष्टि बाधा के शिकार हैं, वो दुनिया को अपनी आंखों से नहीं देख सकते. लेकिन उन्होंने कभी शारीरिक कमजोरी को अपने हौसलों के आगे नहीं आने दिया. वर्तमान में संगीत के प्रति दिलचस्पी रखने वाले युवाओं के लिए कौशल मार्गदर्शी बने हुए हैं. हाल ही में उन्होंने 'थोड़ा-थोड़ा प्यार हुआ तुमसे' गाने को अपने शिष्यों के साथ रिकंपोज किया है.
संगीत में पीएचडी की तैयारी
कौशल के परिवार के लोगों का कहना है कि जन्म के समय कौशल के बारे में पता चला तो उसके भविष्य को लेकर सभी चिंतित हो गए थे. ये सोचकर उसका नाम कौशल रख दिया. वो किसी के सहारे नहीं बल्कि अपने हुनर के बल पर जी सके. कौशल बड़े हुए तो परिवार ने उन्हें दिव्यांग बच्चों के स्कूल ग्वालियर भेज दिया. कुछ उतार चढ़ाव के साथ उन्होंने संगीत से बीए और फिर ग्वालियर से संगीत में एमए किया. 35 साल के कौशल आज संगीत सांग नाम से कोचिंग चला रहे हैं. जहां उनके पास करीब 10 से 15 युवा संगीत के गुर सीखते आते हैं. कौशल आज संगीत सांग नाम से कोचिंग चला रहे हैं, जहां उनके पास करीब 10 से 15 युवा संगीत के गुर सीखने आते हैं. कौशल कहते हैं कि अब वो संगीत में पीएचडी करने के लिए दृढ़संकल्पित हैं. अभी तक 25 से 30 युवाओं को ट्रेनिंग दे चुके हैं.