बरेली :यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की तरफ से आयोजित इंडियन इकोनॉमिक्स सर्विस की परीक्षा में बरेली की बेटी ने टॉप किया है. कुल 15 सीटों के लिए परीक्षा हुई थी जिसमें ईशा ने टॉप किया है. ईशा बतौर डेटा साइंटिस्ट बंगलुरू में जॉब कर रही हैं. लेकिन कोरोनाकाल की वजह से पिछले एक वर्ष से अपने घर से वर्क फ्रॉम होम हैं. पहली बार में ही ईशा ने ये कामयाबी पाई है. इस कामयाबी पर परिवार को बधाइयां मिल रही हैं. ईटीवी भारत ने ईशा से बातचीत कर उनकी सफलता का मूल मंत्र जानने का प्रयास किया.
यूपीएससी द्वारा आयोजित इंडियन इकॉनोमिक्स सर्विस की परीक्षा का परिणाम 30 जुलाई को घोषित हुआ है, ईशा स्वरूप ने टॉप किया है. परिणाम आने के बाद से ईशा के घर पर शुभकामनाएं देने लोग पहुंच रहे हैं. बधाइयां देने वालों का जमावड़ा लगा हुआ है. बरेली की बेटी ने ये कामयाबी कैसे पाई, कैसे उन्होंने तैयारी की, इन तमाम सवालों के जवाब ईटीवी भारत को उन्होंने विस्तार से दिया. ईटीवी भारत से बातचीत में 27 वर्षीय ईशा ने बताया कि वो करीब 5 साल से बंगलुरू में डेटा साइंटिस्ट के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहीं हैं. उन्होंने बताया इकॉनॉमिक्स उन्हें बेहद पसंद है जिस वजह से उन्होंने खूब मेहनत व लगन से तैयारी की.
उन्होंने बताया कि नौकरी को सुरक्षित करते हुए बिना किसी स्ट्रेस के ईमानदार कोशिशें कीं जिसका परिणाम सभी के सामने है. उन्होंने कहा कि खुश रहिये और सकारात्मक सोच के साथ मन लगाकर लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखने से सब संभव है.
गैरतलब है कि ईशा के परिवार द्वारा चार शिक्षण संस्थान भी बरेली में संचालित हैं. ईशा के पिता सेना में कर्नल थे जो अभी पिछले दिनों ही रिटायर हुए हैं. वो भी अपनी बेटी की कामयाबी से बेहद खुश हैं. वहीं, ईशा की माताजी का कहना है कि माता पिता को भी समझना होगा कि वो अपने बच्चों की सफलता के लिए उनके लिए जरूरी हर सुविधा और सहयोग दें.
आईइएस बनने पर परिवार में खुशियां हैं. ईशा ने बताया कि बरेली में ही प्रारंभिक शिक्षा हुई. उसके बाद उन्होंने दिल्ली का रुख किया. उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर्स की डिग्री हांसिल की. उनके पिता कहते हैं कि सेना में होने की वजह से परिवार में अनुशासित माहौल है. ऐसे में अनुशासन कामयाबी के रास्ते खोलता है.
कुल 15 सीटों के लिए हुई परीक्षा में ईशा ने टॉप करके ये भी दिखा दिया कि नौकरी के साथ-साथ आप अपने सपनों को पंख लगा सकते हैं. अपनी कामयाबी के बारे में उन्होंने बताया कि उन्हें इस बात का फायदा मिला कि उनके पिता व माताजी उन पर पूर्ण विश्वास करती हैं.
आईईएस परीक्षा के परिणाम जब आए तो ईशा एक बार को तो हैरान रह गईं. ईशा बतातीं हैं कि उन्हें ये तो विश्वास था कि उनकी मेहनत में कोई कमी नहीं है और वो कामयाब होंगी. लेकिन उन्हें ये भरोसा नहीं था कि वो टॉप कर जाएंगी.