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भाजपा जिलाध्यक्ष समेत पांच लोगों को कोर्ट ने किया तलब, जानिए क्या है पूरा मामला...

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Published : Jan 5, 2022, 7:00 PM IST

बरेली के भाजपा जिलाध्यक्ष वीर सिंह पाल सहित 5 लोगों को कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के एक मामले में तलब किया है. साथ ही कोर्ट ने इस मामले में पुलिस की फाइनल रिपोर्ट निरस्त कर दी है.

भाजपा जिलाध्यक्ष वीर सिंह पाल.
भाजपा जिलाध्यक्ष वीर सिंह पाल.

बरेलीःजिले के आंवला से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे भाजपा जिलाध्यक्ष वीर सिंह पाल को कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. थाना आंवला में दर्ज पॉक्सो एक्ट के एक मुकदमे में वीर सिंह के पक्ष में लगी पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. भाजपा जिलाध्यक्ष समेत सभी पांच अभियुक्त कोर्ट में तलब करने के आदेश दिये हैं.


उल्लेखनीय है कि वीर सिंह पाल के खिलाफ आंवला की एक महिला ने पुलिस की तहरीर दी थी. आंवला पुलिस ने तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज नहीं की तो पीड़ित महिला ने कोर्ट की शरण ली. इसके बाद कोर्ट के आदेश पर आंवला पुलिस ने वीर सिंह पाल पर एफआईआर दर्ज कर ली. पुलिस ने अपनी जांच में मामला झूठा बताते हुए फाइनल रिपोर्ट लगाते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष को क्लीन चिट दे दी थी. जबकि इस मामले में पीड़िता के बयान 164 सीआरपीसी के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष हो चुके थे. पुलिस ने मजिस्ट्रेट के
सामने दिए गए बयान की अनदेखी कर दी.

पुलिस की फाइनल रिपोर्ट लगने के खिलाफ पीड़ित महिला ने फिर कोर्ट की शरण ली. मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट की कोर्ट में हुई. साक्ष्यों का अवलोकन कर विशेष न्यायाधीश ने 15 सितंबर 2019 को आंवला पुलिस द्वारा दाखिल की गई फाइनल रिपोर्ट को निरस्त कर दिया. कोर्ट ने इस मामले में अभियुक्त वीर सिंह, पप्पी, राजू, गुड्डू एवं दर्पण को तलब किया है. इस पूरे मामले में वीर सिंह के साथ कांग्रेस और बसपा से लोकसभा टिकट मांग चुके एक नेता का भाई भी अभियुक्त है. यह नेता रहते तो दिल्ली में हैं लेकिन आंवला में उनका पैतृक निवास है.

वहीं, भाजपा जिलाध्यक्ष वीर सिंह पाल पर दहेज उत्पीड़न और छेड़छाड़ का एक मुकदमा फरीदपुर में भी दर्ज है. यह मुकदमा उनके छोटे भाई की पत्नी ने दर्ज कराया है. शादी के बाद उनके छोटे भाई की पत्नी ससुराल में विवाद होने पर फरीदपुर स्थित मायके चली गई थी. बताया जाता है कि जब दो साल तक वो नहीं लौटी तो वीर सिंह ने बिना तलाक के ही छोटे भाई का दूसरा विवाह करा दिया. इस पूरे मामले में दहेज उत्पीड़न और छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज हुआ, जिसमें वीर सिंह भी अभियुक्त है. यह मामला अब कोर्ट में विचाराधीन है.

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वीर सिंह अपने लाइसेंस रिवाल्वर को लेकर पिछले दिनों काफी चर्चा में रहे थे. पूर्व जिलाधिकारी नीतीश कुमार ने तहसील और पुलिस की रिपोर्ट आने के बाद भी भाजपा जिलाध्यक्ष वीर सिंह पाल का रिवाल्वर का लाइसेंस नहीं बनाया. जबकि वीर सिंह ने इसके लिये काफी प्रयास किये थे.

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