बरेलीः बरेलवी मसलक के सबसे बड़े धर्मगुरु इमाम अहमद रजा खा फाजिले बरेलवी आला हजरत के 103वें तीन दिवसीय उर्स-ए-रजवी का सोमवार को समापन हो गया. इस दौरान कुलशरीफ की रस्म अदा की गई. आला हजरत दरगाह पर मौलानाओं और जायरीनों ने देश मे अमन-चैन और खुशहाली के लिए दुआ की. साथ ही कोरोना जैसी महामारी का देश और दुनिया से खात्मे के लिए भी दुआ की गई.
मुफ़्ती शहजाद आलम ने मुफ़्ती-ए-आजम हिन्द की जिंदगी पर रोशनी डालते हुए कहा कि आला हजरत ने 1400 किताबें लिखकर पूरे हिंदुस्तान का सिर ऊंचा कर दिया. वह कौम के मसीहा और हमदर्द थे.
उधर, तीन दिवसीय उर्स के अंतिम दिन हजारों की संख्या में जायरीन उमड़े. इस्लामिया कॉलेज के मैदान से लेकर सौदा ग्रान की संकरी गलियों से होते हुए दरगाह आला हजरत पर हाजिरी देने पहुंचे. मरकज अहले सुन्नत वल जमात के सेंटर पर देश भर के उलेमाओ ने कुल शरीफ में हाजिरी दी. दरगाह प्रमुख हजरत मौलाना सुब्हान रज़ा खान व सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा कादरी की सदारत में उर्स की सभी ताक़रीबात को अदा किया गया.