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बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने जारी किया एजेंडा, जानिए क्या हिदायतें दीं

बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (All India Muslim Jamaat) ने मुस्लिम एजेंडा जारी कर मुसलमानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने की अपील की है. इसके अलावा मुस्लिम कौम, केन्द्र सरकार व राज्य की सरकारों और सभी राजनैतिक पार्टियों को भी हिदायत दी है.

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बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने मुस्लिम एजेंडा जारी कर मुसलमानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने की अपील की

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Published : Sep 21, 2022, 6:35 PM IST

बरेलीः जनपद मेंआला हजरत के उर्स के पहले दिन बुधवार को ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (All India Muslim Jamaat) ने मुस्लिम एजेंडा जारी किया है. इसमें देशभर के समाजिक, धार्मिक और बुद्धिजीवियों ने भी शिरकत की. मुस्लिम एजेंडे में मुसलमानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने, उनकी शिक्षा और व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए मुसलमानों से अपील की गई है. इसके अलावा कहा गया है कि लव-जिहाद, माॅब-लिंचिंग, धर्मान्तरण, टैरर फंडिंग और आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों को भयभीत व परेशान किया जा रहा है.

बता दें कि उर्स ए आला हजरत के पहले दिन ’’इस्लामिक रिसर्च सेन्टर’’ स्थित दरगाह आला हजरत में उलेमा की बैठक हुई. इसकी अध्यक्षता ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने की. इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों से आए उलेमा ने मुसलमानों के मसलों पर विस्तार से चर्चा की. इसमें मुसलमानों, हुकूमतों, और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के कामों का जायजा लेते हुए एक ’’मुस्लिम एजेण्डा’’ भी तैयार किया गया.

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी (Maulana Shahabuddin Rajvi) ने प्रेस काॅफ्रेंस में ’’मुस्लिम एजेंडा’’ (Muslim agenda) जारी करते हुये मुसलमानों को हिदायत दी है कि शिक्षा, बिजनेस, और परिवार पर ध्यान दें. समाज में फैल रही बुराइयों की रोकथाम करें अन्यथा भविष्य में बड़े नुकसान उठाने पड़ेंगे. मौलाना ने केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को कड़े शब्दों में कहा की देश की एकता और अखण्डता के लिये मुसलमान हर कुर्बानी देने के लिये तैयार है मगर हिंदू और मुस्लिम के दरमियान नफरत फैलाने वाली राजनीति बर्दाश्त नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि मुसलमानों के साथ नाइंसाफी और ज़ुल्म व जियादती को भी ज्यादा दिन तक हम सहन नहीं कर सकते हैं. सरकारों व राजनीतिक पार्टियों को इस पर गंभीरता से काम करना होगा. मुसलमानों के प्रति अपने आचरण में लोगों को बदलाव लाना होगा. ऑल इंडिया मुस्लिम जमात बहुत जल्द देश व्यापी "हिन्दू-मुस्लिम" जोड़ो अभियान चलाकर नफरत फैलाने वाले देश के दुश्मनो को मु़ंहतोड़ जवाब देगी.



मुस्लिम कौम को हिदायते
गत वर्षों के मुकाबले में 2021-2022 में मुसलमानों की शिक्षा दर कुछ हद तक बढ़ी है. अब गरीब से गरीब मुसलमान भी अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाने का ख्वाहिशमन्द होता है. मगर ये पेशरफ्त (अग्रसित) बहुत ज़्यादा इत्मिनान बक्श (संतुष्टि) नहीं है इसलिये मजीद कोशिशें जारी रखी जाए.

उन्होंने कहा कि मालदार मुसलमान गरीब और कमजोरों के बच्चों की स्कूल की फीस का खर्चा उठाए ताकि गरीब बच्चे भी पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खडे़ हो सकें. मदरसों और मस्जिदों में चलने वाले दीनी मकतबों में अरबी, उर्दू के साथ-साथ हिंदी, अंग्रेजी और कम्प्यूटर शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए. मां-बाप अपनी जमीन व जायदात में लड़कों के साथ लड़कियों को भी हिस्सा दें.

’’जकात’’ का इजतिमाई निजाम (सामूहिक व्यवस्था) कायम किया जाए. "साहिबे निसाब’’ (मालदार इस्लामिक दृष्टिकोण से) मुसलमान अपनी ’’जकात’’ को एक जगह इकट्ठा करें ताकि उसके माध्यम से गरीब, मिसकीन, यतीम और बेसहारा लोगों की मदद की जा सके. मुसलमान कानून के दायरे में रहें. किसी भी मामले में कानून को हाथ में न ले. अगर कहीं तकलीफ देह बात (उत्पीड़न) नजर आती है तो उच्च अधिकारियों से शिकायत करें.

केन्द्र सरकार व राज्य की सरकारों को हिदायत
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि मुल्क की सालमियत यानि देश की एकता व अखण्डता पर काम करने वाली पीएम नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार या अन्य सरकारे हो उनके साथ हम कांधे से कांधा मिलाकर काम करने के लिये तैयार है. राज्य सरकारों द्वारा अल्पसंख्यकों के उत्थान हेतु बहुत सारी स्कीमें बनाई गईं मगर हकीकत ये है कि इन स्कीमों का कोई भी फायदा मुसलमानों को हासिल नहीं हुआ. इसकी व्यवस्था में बदलाव किया जाए. इसके अलावा और कई हिदायतें दी गई हैं.

राजनीतिक पार्टियों को हिदायत
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को अपनी जरूरत के वक्त और वोट लेने के लिये मुसलमानों का इस्तेमाल करती हैं फिर सरकार बना लेने के बाद भूल जाती हैं इसलिये उनको अपने काम करने के तरीकों में बदलाव लाना होगा. मुसलमान किसी भी एक राजनीतिक पार्टी का गुलाम नहीं है.अब राजनतिक पार्टियां और उनके नेता मुसलमानों को बंधुआ मजदूर न समझें. इसी तरह राजनीतिक पार्टियों को कई हिदायतें दी गई.


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इस बैठक में मुख्य रूप से इन उलेमा ने शिरकत की. खलीफा मुफ्ती आजम हिंद सूफी अब्दुलरहमान कादरी छत्तीसगढ़, ग्रांड मुफ्ती ऑफ इण्डिया के प्रतिनिधि मुफ्ती सादिक सकाफी केरला, मौलाना मजहर इमाम बंगाल, मौलाना अब्दुस्सलाम कर्नाटक, मौलाना रिजवान तामिलनाडू, मुफ्ती शाकिरूल कादरी राजस्थान, मौलाना जाहिद रजा रजवी उत्तराखण्ड, कारी सग़ीर अहमद रजवी देहली, मौलाना नजीर अहमद जम्मू कश्मीर, मौलाना फूल मोहम्मद नेमत रजवी बिहार, उत्तर प्रदेश से मुफ्ती सुल्तान रजा बहराइच, हाफिज़ नूर अहमद अजहरी पीलीभीत, मौलाना आजम अहशमती लखनऊ, हाजी नाजिम बेग नूरी बरेली, मौलाना मुजाहिद हुसैन, मौलाना अशरफ बिलाली आदि मौजूद थे.

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