बरेली:तीन तलाक पर लागू कानून मुस्लिम महिलाओं की ताकत बन रहा है. इसका असर देश भर की शरई अदालतों में महसूस किया जा सकता है. उ. प्र. सहित अन्य राज्यों में शरई अदालतें अब सूनी होने लगी हैं. सुन्नी मुस्लिमों का मरकज कहे जाने वाली उत्तर प्रदेश के बरेली की आला हजरत दरगाह से जुड़ी सभी पांच शरई अदालतों में ऐसे मसलों की संख्या 60 फीसद कम हो गई है.
तीन तलाक के मामलों में आई कमीं
कानून लागू होने के बाद से बरेली की पांचो शरई अदालतों में भी हर रोज एक-दो मसले ही आ रहे हैं, जबकि पहले यह संख्या 5-6 तक होती थी. देशभर की 62 शरई अदालतों में सूनापन छाया हुआ है और मुस्लिम महिलाओं के हक की गवाही दे रहा है. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम-2019, 19 सितंबर 2018 को अध्यादेश के रूप में लाया गया था.
महिलाओं को मिली बड़ी राहत
इसे संसद ने एक अगस्त 2019 को प्रभावी कर दिया. तब से तत्काल तीन तलाक दंडनीय अपराध बन गया है. मुस्लिम महिलाओं को इस अधिकार ने बड़ी राहत पहुंचाई है. अब पीड़िताएं अपने खिलाफ होने वाले अत्याचार पर शरई अदालतों में गुहार लगाने की बजाय इस कानून से न्याय पा रही हैं.
न्याय की गुहार लेकर थाने पहुंच रही पीड़िताएं
महिलाओं को इस कानून से जो राहत मिली है, उसकी बानगी यह है कि जेल जाने के खौफ से अब कई मामलों का निपटारा कार्रवाई से पहले ही हो जा रहा है. बरेली की पांचों अदालतों में 60 फीसद से कम तीन तलाक के मसले पहुंच रहे हैं. देश भर में 62 शरई अदालतें हैं, लेकिन कानून लागू होने के बाद पीड़िताएं न्याय की गुहार लेकर थाने पहुंच रही हैं.