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बाराबंकी: बदइंतजामी और बदहाली का शिकार जैदपुर महिला पॉलिटेक्निक, नहीं शुरू हो सकी पढ़ाई - zaidpur women's polytechnic

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में बना महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज शासन की अनदेखी का शिकार हो गया है. कॉलेज निर्माण 2013-14 में शुरू हुआ था. इसको बनाने का काम यूपीपीसीएल को मिला, जिसका पैसा तत्कालीन यूपीए सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय से मिला था.

जैदपुर महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज.

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Published : Aug 10, 2019, 8:25 PM IST

बाराबंकी: जिले के जैदपुर में महिला पॉलिटेक्निक का निर्माण 2013-14 से शुरू हुआ. इसको बनाने का काम यूपीपीसीएल को मिला. इसका पैसा तत्कालीन यूपीए सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय से मिला था. 2014 में यूपीए चुनाव हार गई और एनडीए की सरकार बनी. जितना पैसा मिला था, उतने में इसका 85% कार्य ही पूरा हुआ. करोड़ों रुपये की लागत से बना यह महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज, प्रशासन के निर्णय और बचे हुए लागत मूल्य का इंतजार कर रहा है.

शासन की अनदेखी का शिकार महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज:
बाराबंकी जिले के जैदपुर महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज का निर्माण 2013 -14 में शुरू हुआ. यह प्रोजेक्ट तत्कालीन यूपीए सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के मल्टी सेक्टोरल प्रोग्राम के अंतर्गत बनना शुरू हुआ था. साल 2014 में लोकसभा के आम चुनाव हुए और यूपीए की जगह भाजपा की एनडीए सरकार बनी. तब भी यह कार्य चलता रहा. उत्तर प्रदेश सरकार की संस्था यूपीपीसीएल को इस बिल्डिंग के निर्माण के लिए 85% धनराशि दी गयी थी. परंतु समय रहते इस बिल्डिंग का निर्माण पूरा नहीं किया जा सका और निर्धारित धनराशि भी खर्च हो गई.

जैदपुर महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज.

इसी दौरान जिस कार्यक्रम के द्वारा इसको बनाया जा रहा था, वह दूसरे कार्यक्रम में परिवर्तित हो गया, और इसकी धनराशि भी कई बार लिखने के बावजूद भी नहीं मिल सकी. करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाला यह महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज बची हुई धनराशि प्राप्त करने का इंतजार कर रहा है. पिछले चार साल से इसकी खोज खबर लेने वाला कोई नहीं है. यहां पर अब बच्चे नहीं बल्कि बकरियां और पशु आते हैं.

छात्रों के भविष्य से खिलवाड़:
इस प्रकार से किसी विद्यालय का यदि निर्माण किया जाता है तो यह ध्यान देने की जरूरत है कि, वह निर्धारित समय अवधि में पूरा हो. क्योंकि यह शैक्षणिक जगत से जुड़ा हुआ मामला है ,और यहां पर बच्चों के पढ़ने के लिए व्यवस्था की जानी थी. यदि ऐसे मामलों में लेटलतीफी और इतनी ज्यादा देरी की जाएगी तो, निश्चित तौर पर इसमें जो बच्चे पढ़ते उनके भविष्य के साथ कहीं ना कहीं ये खिलवाड़ है. इसलिए प्रशासन एवं सरकार दोनों को इस तरफ विशेष रुप से ध्यान देने की जरूरत है.

इसके लिए लगातार प्रयास पहले भी किए जाते रहे हैं. लेकिन बाउंड्री वाल नहीं होने के कारण यहां पर पढ़ाई करना संभव नहीं हो पाया. बाउंड्री वॉल बनाने के लिए लगभग 60 लाख रुपए की जरूरत है. जिसे किसी अन्य मद द्वारा पूरा नहीं किया जा सकता. हम इस बात के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं कि, यहां पर विद्यालय के क्षेत्र को व्यवस्थित करके पढ़ाई लिखाई शुरू कराई जा सके.
-डॉ. आदर्श सिंह, जिलाधिकारी

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