बाराबंकी:जिलेमें एक महिला को किसान एवं सर्वहित बीमा योजना का लाभ पाने के लिए नाकों चने चबाने पड़े. हर जगह से निराश हुई महिला ने आखिरकार अदालत का दरवाजा खटखटाया, जहां से उसे इंसाफ मिला. शुक्रवार को सिविल कोर्ट की स्थायी लोक अदालत अधिकरण ने बीमा कम्पनी को योजना का पांच लाख रुपये का भुगतान पीड़ित महिला को दो माह में किए जाने का आदेश दिया है. यही नहीं समय के अंदर भुगतान न करने पर बीमा कम्पनी द्वारा पीड़िता को दावा दायर करने की तिथि से 6 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करना होगा.
हैदरगढ़ तहसील के ब्लॉक त्रिवेदीगंज के ग्राम दहिला निवासिनी संगीता ने स्थायी लोक अदालत अधिकरण में परिवाद दाखिल किया था कि ग्राम दहिला में उसके नाम कृषि योग्य जमीन है. उसका पति अरुण कुमार काश्तकारी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करता था. उसकी दो पुत्री और एक पुत्र है. 25 नवम्बर 2018 को उसके पति अरुण कुमार मोटरसाइकिल से घर आ रहे थे. रास्ते में अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी. देर रात तक जब उसके पति घर नहीं लौटे तो उनकी खोजबीन शुरू की गई. दूसरे दिन सुबह अरुण कुमार नाले में घायल अवस्था में मिले. अरुण की यह हालत देख संगीता मूर्छित हो गई. गांव वाले दोनों पति-पत्नी को भिलवल स्थित नव ज्योति हॉस्पिटल ले गए, जहां डॉक्टरों ने अरुण कुमार को मृत घोषित कर दिया. संगीता को गांव वालों ने अस्पताल में भर्ती करा दिया. पुलिस को पूरे मामले की सूचना दी गई, लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की.
अदालत के आदेश पर दर्ज हुई एफआईआर
ग्राम प्रधान और गांव वालों ने अरुण कुमार का अंतिम संस्कार कर दिया. संगीता की जब हालत सुधरी तो उसने पुलिस अधीक्षक को पूरे मामले से अवगत कराया. इसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई. मजबूरन उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया. न्यायालय के आदेश पर 9 फरवरी 2019 को उसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुई.
कम्पनी ने किसान बीमा योजना का लाभ देने से इनकार कर दिया
इस रिपोर्ट के आधार पर संगीता ने मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना का लाभ पाने के लिए पांच लाख रुपये का दावा न्यू इंडिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड शाखा बाराबंकी में किया. बीमा कम्पनी ने उसका दावा निरस्त कर दिया. मजबूरन संगीता ने स्थायी लोक अदालत में परिवाद दाखिल किया.
पति के नाम नहीं थी जमीन