बाराबंकी: दशकों बाद दिखा नेचर क्लीनर, शुभ संकेत मान उत्साहित हुए वनकर्मी - वन विभाग
पलिया मसूदपुर गांव में एक घर के पास एक गिद्ध को बैठे देखकर इलाके में हलचल मच गई. मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने गिद्ध को अपने कब्जे में ले लिया. प्रभागीय निदेशक एनके सिंह ने बताया कि साल 91 और 92 तक सूबे में गिद्धों की संख्या काफी थी, लेकिन दिनोंदिन इस्तेमाल हो रहे खतरनाक रसायनों के चलते यह गिद्ध विलुप्त होने के कगार पर आ गए.
इलाके में पाया गया गिद्ध
बाराबंकी: बाराबंकी वन क्षेत्र के पलिया मसूदपुर गांव में एक घर के पास अजीबो-गरीब बड़े से पक्षी को देख कर हलचल मच गई. लोग अपने हिसाब से इसका नामकरण करने लगे. मामले की जानकारी पर पहुंची वन विभाग की टीम ने गिद्ध को अपने कब्जे में ले लिया.
प्रभागीय निदेशक एनके सिंह ने जब इस पक्षी को देखा तो वे उत्साहित हो उठे. उन्होंने बताया कि यह भारतीय गिद्ध का बच्चा है. एक सर्वे के मुताबिक साल 91 और 92 तक सूबे में गिद्धों की संख्या काफी थी, लेकिन दिन प्रतिदिन इस्तेमाल हो रहे खतरनाक रसायनों के चलते यह गिद्ध विलुप्त होने के कगार पर आ गए. अब यह पक्षी कभी कभार दिखाई देते हैं. गिद्धों के विलुप्त होने के पीछे पशुओं को दी जाने वाली डाई क्लोरो फिनॉक्स दवा माना जा रहा है.
यह दवा मवेशियों में दर्द नाशक और कीटनाशक के लिए दी जाती थी. दवा बायोडिग्रेडेबल नहीं होती है. लिहाजा पशुओं के मरने के बाद जब गिद्ध उन्हें खाते थे तो यह दवाई उनको नुकसान करती थी और इस तरह धीरे-धीरे गिद्ध विलुप्त होते गए. अब सरकार ने दवा प्रतिबंधित कर दी है. कभी कभार इसी तरह गिद्ध दिखने लगे हैं. वनाधिकारियों का मानना है कि यह अच्छा संकेत है. प्रभागीय निदेशक एनके सिंह ने बताया यह समाज के लिए अच्छा संकेत है.