बाराबंकीः प्रदेश के पशु चिकित्सकों ने सरकार से अनोखी मांग की है. पशु चिकित्सकों की मांग है कि फीस लेकर पशुओं का इलाज करने का जो अधिकार सरकार ने उन्हें दिया है उसे वापस ले लिया जाए. पशु चिकित्सकों ने रविवार को बाराबंकी में पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री को इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा. साथ ही मांग की कि निराश्रित गोवंश संरक्षण के लिए अलग से निदेशालय की स्थापना हो ताकि गोवंश संरक्षण की निगरानी हो सके. मांग की कि पशु चिकित्सा सेवा को इमरजेंसी चिकित्सा सेवा घोषित किया जाए.
24 घंटे ड्यूटी करने के बावजूद भी सूबे के पशु चिकित्सक अपनी उपेक्षा से खासे दुखी हैं. इनकी पीड़ा है कि मेडिकल की डिग्री होने के बावजूद भी जो सुविधाएं ह्यूमन मेडिकल डॉक्टर्स को मिल रही हैं वह पशु चिकित्सकों को नही मिल रही. इन्हें दोयम दर्जे का समझा जाता है. पांच वर्ष पहले सरकार से समझौता होने के बाद भी इन्हें कंपलीट मेडिकल पैरिटी नहीं दी जा रही.
जानिए, आखिर सरकार से निजी प्रैक्टिस का अधिकार वापस लेने की गुहार क्यों लगा रहे पशु चिकित्सक - veterinary doctor
पशु चिकित्सक सरकार से निजी प्रैक्टिस का अधिकार वापस लेने की गुहार लगा रहे हैं. आखिर वह ऐसा क्यों कर रहे हैं चलिए जानते हैं इस खबर में.
पिछले काफी अर्से से दुखी चल रहे सूबे के पशु चिकित्सकों ने रविवार को पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री से अपना दर्द साझा किया. साथ ही मांग की कि इन्हें जो फीस लेकर प्रैक्टिस करने का जो अधिकार मिला है उसे वापस ले लिया जाए. कहा कि तीन अक्टूबर 2017 को सरकार से पशु चिकित्सकों को कम्प्लीट मेडिकल पैरिटी को लेकर समझौता हुआ था जिसे आज तक लागू नही किया गया.
इनका दर्द है कि निराश्रित गोवंश को लेकर ये लोग लगातार काम कर रहे हैं बावजूद इसके इन पर आए दिन कार्यवाही हो जाती है लिहाजा गोवंश संरक्षण हेतु अलग से एक निदेशालय बनाया जाए. इसके अलावा इन्होंने मांग की कि गोवंश आश्रय स्थलों का नोडल पंचायती राज विभाग को बनाया जाए. फीस लेकर प्रैक्टिस न करने के पीछे इनका तर्क है कि इससे गरीब किसानों का नुकसान होगा. सबसे बड़ी बात तो ये कि जब 24 घण्टे इनकी सरकारी ड्यूटी रहेगी तो ये कब प्रैक्टिस करेंगे, लिहाजा सरकार इस अधिकार को वापस ले ले.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप