बाराबंकी:बारिश ना होने की वजह से जहां सिंचाई का खर्चा उठाना पड़ रहा है. वही नहरों की सफाई न होने के कारण केवल 20% किसानों को ही नहरों के द्वारा सिंचाई करने का लाभ मिल पा रहा है. जिले में तो तहसील क्षेत्रों में घाघरा के बाढ़ परिक्षेत्र के कारण किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. आवारा छुट्टा पशु किसानों के लिए जी का जंजाल बन गए हैं. अगल-बगल के जिलों से भी जिले में जानवरों को छोड़े जाने से समस्याएं विकराल हो रही हैं.
ट्यूबवेल से किराए पर सिंचाई-
बाराबंकी जिला खेती-किसानी की दृष्टि से बहुत ही संपन्न माना जाता है. किसान के मुताबिक जिले में लगभग 1527 किलोमीटर नहर का जाल बिछा हुआ है और सिंचाई के पूरे प्रबंधन की व्यवस्था है. लेकिन नहरों और माइनर की सफाई ना होने के कारण केवल 20% लोग ही नहर के द्वारा सिंचाई व्यवस्था का लाभ उठा पाते हैं. बाकी 80% लोग पंपिंग सेट या फिर बिजली के द्वारा चलने वाले ट्यूबवेल से किराए पर सिंचाई करते हैं. अब बिजली की दरों में वृद्धि होने के कारण तथा डीजल के दामों में बढ़ोतरी होने से सिंचाई काफी महंगी हो गई है. जिससे किसानों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.