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बाराबंकी: मौसम की मार और आवारा जानवरों की वजह से कम नहीं है किसानों की मुश्किलें

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में निश्चित तौर पर खेती किसानी के लिहाज से काफी उन्नत जिला है. लेकिन फिर भी यहां पर किसानों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही है.जानवरों को छोड़े जाने से समस्याएं विकराल हो रही हैं. सरकार को इस पर विशेष तवज्जो देने की आवश्यकता है.

जानकारी देते किसान.

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Published : Sep 13, 2019, 7:42 AM IST

बाराबंकी:बारिश ना होने की वजह से जहां सिंचाई का खर्चा उठाना पड़ रहा है. वही नहरों की सफाई न होने के कारण केवल 20% किसानों को ही नहरों के द्वारा सिंचाई करने का लाभ मिल पा रहा है. जिले में तो तहसील क्षेत्रों में घाघरा के बाढ़ परिक्षेत्र के कारण किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. आवारा छुट्टा पशु किसानों के लिए जी का जंजाल बन गए हैं. अगल-बगल के जिलों से भी जिले में जानवरों को छोड़े जाने से समस्याएं विकराल हो रही हैं.

कम नहीं है किसानों की मुश्किलें


ट्यूबवेल से किराए पर सिंचाई-
बाराबंकी जिला खेती-किसानी की दृष्टि से बहुत ही संपन्न माना जाता है. किसान के मुताबिक जिले में लगभग 1527 किलोमीटर नहर का जाल बिछा हुआ है और सिंचाई के पूरे प्रबंधन की व्यवस्था है. लेकिन नहरों और माइनर की सफाई ना होने के कारण केवल 20% लोग ही नहर के द्वारा सिंचाई व्यवस्था का लाभ उठा पाते हैं. बाकी 80% लोग पंपिंग सेट या फिर बिजली के द्वारा चलने वाले ट्यूबवेल से किराए पर सिंचाई करते हैं. अब बिजली की दरों में वृद्धि होने के कारण तथा डीजल के दामों में बढ़ोतरी होने से सिंचाई काफी महंगी हो गई है. जिससे किसानों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.


जिले में किसानों को तमाम प्रकार की समस्याएं-
बारिश ना होना, तराई क्षेत्रों में घाघरा का कहर, बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी , डीजल के दामों में वृद्धि , आवारा पशुओं का आतंक, नहरों की ठीक प्रकार से सफाई ना होने के कारण बार-बार नहरों का कटना व किसानों तक ठीक से पानी न पहुंचना. अफवाहों का बाजार गर्म होने के कारण खाद और यूरिया के दामों में वृद्धि समय-समय पर होने से समस्याएं उत्पन्न होना, इत्यादि बातों को अगर देखा जाए तो किसानों की समस्याएं कम नहीं है , बल्कि बहुत ज्यादा है. जिस पर किसान के अनुसार सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है. बारिश ना होने के कारण वे काफी परेशान है . फसलों में रोग लगने की शिकायत आ रही है, जिससे खेत में दवाई इत्यादि डालने का अतिरिक्त खर्च भी बढ़ रहा है, जिसकी वजह से मजदूरी करके ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है.

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