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बाराबंकी के टॉप टेन अपराधी जय प्रकाश पाठक उर्फ किन्नी की संपत्ति कुर्क - बाराबंकी ताजा खबर

बाराबंकी के एक टॉप टेन अपराधी जय प्रकाश पाठक उर्फ किन्नी द्वारा अपराध से अर्जित की गई सम्पत्ति को कुर्क किया गया. शासन ऐसे अपराधियों के खिलाफ अभियान चला रहा है, जिन्होंने आपराधिक वारदातों से सम्पत्ति अर्जित की है.

टॉप टेन अपराधी जय प्रकाश पाठक उर्फ किन्नी की संपत्ति कुर्क
टॉप टेन अपराधी जय प्रकाश पाठक उर्फ किन्नी की संपत्ति कुर्क

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Published : Nov 17, 2020, 9:12 PM IST

बाराबंकी: जिला प्रशासन और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में एक टॉप टेन अपराधी द्वारा अपराध से अर्जित की गई सम्पत्ति को कुर्क किया गया. शासन ऐसे अपराधियों के खिलाफ अभियान चला रहा है, जिन्होंने आपराधिक वारदातों से सम्पत्ति अर्जित की है. जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर इस शातिर अपराधी के विरुद्ध धारा 14(1) गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई करते हुए अपराध से अर्जित सम्पत्ति को कुर्क किया गया.

शातिर टॉप टेन अपराधी
बताते चलें कि थाना रामसनेही घाट के कोटवा सड़क का रहने वाला जय प्रकाश पाठक उर्फ किन्नी बहुत ही शातिर अपराधी है. यह जघन्य अपराधों को कारित करने का अभ्यस्त अपराधी है. इसके विरुद्ध करीब 12 मुकदमे पंजीकृत हैं. गिरोह बंद और समाज विरोधी क्रियाकलापों में ये संलिप्त है. गैंग बनाकर इसने आपराधिक कृत्य कर तमाम सम्पत्ति अर्जित की है.

शासन चला रहा अभियान
शासन ऐसे अपराधियों के खिलाफ अभियान चला रहा है. जिन्होंने आपराधिक गतिविधियों से सम्पत्ति अर्जित की है. जय प्रकाश पाठक उर्फ किन्नी ने ऐसी ही अर्जित सम्पत्ति से वर्ष 2012-13 में एक मकान बनवाया है. जिसकी कीमत 30 लाख रुपये है. मंगलवार को जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर गिरोहबंद अधिनियम की धारा 14(1) के अंतर्गत इस सम्पत्ति को कुर्क कर लिया गया. इस मौके पर तहसीलदार राम सनेही घाट, क्षेत्राधिकारी राम सनेहीघाट और थानाध्यक्ष समेत तमाम पुलिस बल ने मौके पर पहुंचकर कुर्की की कार्रवाई की. मकान के बाहर दीवाल पर इस आशय का नोटिस बोर्ड लगवाया .

कार्रवाई के बाद भी जारी रहे अपराध
किन्नी के खिलाफ वर्ष 2009 में धारा 3(1) गिरोहबंद व समाज विरोधी क्रिया कलाप अधिनियम 1986 के तहत कार्रवाई की गई थी. लेकिन अभियुक्त ने अपराध जारी रखे और अपने सहयोगियों के साथ गैंग बनाकर आपराधिक कृत्यों को करते हुए अनुचित आर्थिक व भौतिक लाभ लिया जाता रहा .साथ ही इस तरह से अर्जित धन को अपने गिरोह के सदस्यों के मध्य खर्च किया जाता रहा.

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