बाराबंकी :वर्तमान समय में जब कोरोना महामारी के चलते शुद्ध हवा और ऑक्सीजन की कमी देखी जा रही है, ऐसे में पर्यावरण संरक्षण की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है. तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी हमारे समाज में ऐसे लोग हैं जो पर्यावरण को संरक्षित करने में लगे हैं. बाराबंकी के एक ऐसे ही प्रगतिशील किसान हैं राम सरन वर्मा जो पिछले कई वर्षों से खेती में नए-नए प्रयोग कर न केवल उसे लाभकारी बना रहे हैं बल्कि पर्यावरण को संरक्षित भी कर रहे हैं.
उन्नत खेती के साथ पर्यावरण संरक्षण में लगे रामसरन बन चुके हैं रोल मॉडल
राम सरन वर्मा राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले के एक छोटे से गांव दौलतपुर के किसान हैं. वह आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. खेती के जादूगर के नाम से मशहूर राम सरन ने जो अजूबा कर दिखाया वो दूसरे किसानों के लिए एक मिसाल है. खेती में जो करिश्मा किया उसी का नतीजा है कि उन्हें पद्मश्री जैसे बड़े सम्मान से नवाजा गया. दिनों दिन दूषित हो रहे पर्यावरण से राम सरन खासे चिंतित हैं. उनका कहना है कि मनुष्य को जीवित रहना है तो उसे पर्यावरण को बचाने के लिए आगे आना होगा.
हरियाली लाकर बढ़ा रहे ऑक्सीजन
24 घंटे में एक स्वस्थ इंसान को औसतन 550 लीटर ऑक्सीजन की आवश्यकता है. वहीं, एक पेड़ एक साल में तकरीबन 83 हजार लीटर ऑक्सीजन देता है. इसे एक व्यक्ति डेढ़ सौ दिनों में ग्रहण कर जाता है. कल कारखानों और वाहनों से निकलने वाले धुंए, रेफ्रीजिरेटर से निकलने वाली गैसों, अंधाधुंध पेड़ों के कटान के चलते दिनों दिन पर्यावरण दूषित हो रहा है. राम सरन की कोशिश है कि इलाके में हरियाली लाकर और तकनीकों के जरिये खेती कर ज्यादा से ज्यादा हवा को शुद्ध किया जाय ताकि ऑक्सीजन की मात्रा बढ़े.