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लोकसभा चुनाव में इनकी नहीं है कोई दिलचस्पी, सिर्फ पेट पालने की है चिंता

जिले में एक तरफ जहां गुरुवार को बीजेपी प्रत्याशी उपेंद्र रावत की जीत पर कार्यकर्ता मतगणना स्थल पर जश्न मना रहे थे. वहीं, कूड़ा बीनने वाले बच्चे और उसकी मां को किसी भी प्रत्याशी की हार-जीत से कोई मतलब नहीं है. इन्हें तो बस अपने और परिवार का पेट पालने की फिक्र है. देखें यह खास रिपोर्ट.

कूड़ा बीनने वाले बच्चे को पेट पालने की है चिंता.

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Published : May 25, 2019, 3:34 AM IST

बाराबंकी: लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे घोषित हो चुके हैं और भाजपा एक बार फिर से सरकार बनाने जा रही है. लोकतंत्र का यह महापर्व शांतिपूर्ण गुजर चुका है. एक तरफ, जहां लोगों में उत्साह और खुशी है वहीं, समाज का एक ऐसा चेहरा भी है, जिसे इन सबसे कुछ भी लेना-देना नहीं है. इन्हें तो बस फिक्र है अपने और अपने परिवार के पेट पालने की.

कूड़ा बीनने वाले बच्चे को सिर्फ पेट पालने की है चिंता.

क्या है पूरा मामला

  • नाली में पड़ी प्लास्टिक की शीशी बोतले, दफ़्ती के गत्ते और डिब्बे जैसे सामानों को बीनकर एक बच्चा अपने और परिवार के पेट पालने के इंतजाम में लगा है.
  • हैरानी की बात तो ये कि इसके ठीक बगल जहां तमाम लोग जीत के जश्न में डूबे हैं, लेकिन इसको उन लोगों से कुछ भी लेना देना नहीं.
  • गुरुवार को नवीन मंडी में मतगणना के दौरान तमाम दलों के कार्यकर्ताओं समेत सैकड़ों कर्मचारी जमा थे.
  • लोगों ने खाना खाकर खाली डिब्बे और पानी पीकर बोतलें इन नालियों और आस-पास फेंक दी थीं .

कोई भी चुनाव जीते, इनसे कोई मतलब नहीं

  • शाम के समय जैसे ही भाजपा प्रत्याशी उपेंद्र रावत के जीतने की खबर पहुंची उनके समर्थक इकट्ठा होने लगे और खुशियां मनाने लगे.
  • इसी बीच ये बच्चा अपनी मां के साथ अंदर आ गया और अपने काम मे लग गया.
  • आस-पास तमाम पुलिसकर्मी और अधिकारी मौजूद रहे.
  • बगल में ही लोग खुशियों में डूबे रहे, लेकिन इन गरीबों को इससे कोई मतलब नहीं.

कूड़ा बीनने वाले बच्चे और उसकी मां को किसी भी प्रत्याशी की हार-जीत से कोई मतलब नहीं है. इन्हें तो बस अपने और परिवार का पेट पालने की फिक्र है .इनकी माने तो ये सामान बेचकर उन्हें कुछ पैसे मिलेंगे जिससे उनका खर्च चलेगा.

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