बाराबंकीःजनपद में आठ वर्ष पूर्व एक किशोरी के साथ बलात्कार करने के मामले में बाराबंकी की एक अदालत ने आरोपी को दोषसिद्ध करते हुए उसे 12 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. अभियुक्त द्वारा जुर्माना की रकम अदा किए जाने पर यह रकम पीड़िता को दी जाएगी. ये फैसला अपर सत्र न्यायाधीश /विशेष न्यायाधीश पॉक्सो ऐक्ट कोर्ट नंबर 44 राजीव महेश्वरम ने सुनाया है.
विशेष लोक अभियोजक योगेंद्र कुमार सिंह और अनूप मिश्रा ने अभियोजन कथानक का ब्यौरा देते हुए बताया कि टिकैतनगर थाना क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले वादी की कक्षा 10 में पढ़ने वाली पुत्री को एक युवक प्रदीप अपने एक सहयोगी के साथ 21 जनवरी 2015 को दिन में 3 बजे बहला फुसलाकर भगा ले गया था. वादी ने टिकैतनगर थाने में तहरीर दी थी. लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. पीड़ित पिता ने 31 जनवरी 2015 को पुलिस अधीक्षक से डाक से प्रार्थना पत्र भेजकर कार्रवाई की गुहार लगाई. लेकिन जब वहां से भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. तब उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया. दिनांक 16 फरवरी 2015 को वादी ने 156(3) सीआरपीसी के तहत अदालत से विवेचना की गुहार लगाई.न्यायालय के आदेश पर टिकैतनगर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की. किशोरी का मेडिकल परीक्षण और मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान कराए गए. तत्कालीन विवेचक ने वैज्ञानिक तरीकों से साक्ष्य इकट्ठा करते हुए आरोपी प्रदीप पुत्र बुधराम के विरुद्ध धारा 363, 366, 376 आईपीसी और पॉक्सो ऐक्ट के तहत चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित की.
बाराबंकी में किशोरी के साथ रेप करने वाले दोषी को 12 वर्ष की कैद
बाराबंकी की विशेष न्यायाधीश पॉक्सो ऐक्ट कोर्ट राजीव महेश्वरम ने आठ वर्ष पहले किशोरी का अपहरण कर दुष्कर्म करने वाले आरोपी को साक्ष्यों के आधार पर दोषी करार दिया है. न्यायाधीश ने दोषी को 12 वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई है.
मामले में अभियोजन ने ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन और बचाव पक्ष द्वारा पेश किये गए गवाहों और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो ऐक्ट कोर्ट नंबर 44 राजीव महेश्वरम ने आरोपी प्रदीप को दोषी पाते हुए उसे 12 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई. अदालत ने ये भी आदेश दिया कि दोषसिद्ध द्वारा अर्थदंड की रकम अदा किए जाने पर 20 हजार रुपये पीड़िता प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी. इसके अलावा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत पीड़िता क्षतिपूर्ति पाने की भी हकदार है. अदालत ने सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को आदेश दिया है कि सुनिश्चित करते हुए कि पूर्व में कोई मुआवजा दिया गया है या नहीं. अगर दिया गया है तो उसे समायोजित करते हुए पीड़िता को पुनर्वासन इत्यादि हेतु उपयुक्त राशि प्रदान की जाए.
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