बाराबंकीः फाइलेरिया दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बीमारी है, जो बड़ी तादाद में लोगों को विकलांग बना रही है. वर्ष 2021 तक फाइलेरिया मुक्त भारत बनाने के लिए आगामी 17 फरवरी से जिले में अभियान चलाकर घर-घर दवाई खिलाई जाएगी. इस अभियान की खास बात यह है कि इसके तहत लोगों को दवाई देनी नहीं बल्कि अपने सामने ही खिलानी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत मे लगभग साढ़े चार लाख लोग फाइलेरिया से पीड़ित हैं. वहीं बाराबंकी जिले में माइक्रो फाइलेरिया रेट 1.09 है.
29 फरवरी तक चलने वाले इस अभियान के लिए 2800 टीमें बनाई गई हैं, जो घर-घर जाकर दवाई खिलाएंगी. इनकी मॉनिटरिंग के लिए 518 सुपरवाइजर लगाए गए हैं. एक आशा कार्यकर्ता को प्रतिदिन 25 घरों में दवाई खिलानी है. जिले की जनसंख्या सवा 36 लाख के करीब है. इसमें से 2 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अत्यधिक बीमार लोगों को छोड़कर बाकी सभी को दवाई खिलानी है.
जानलेवा बीमारी नहीं हैफाइलेरिया
सीएमओ डॉ. रमेश चन्द्रा ने बताया कि फाइलेरिया भले ही जानलेवा बीमारी नहीं है, लेकिन यह मरीजों को मृत समान बनाकर रख देती है. इसमें पैर बुरी तरह सूज जाते हैं, पुरुषों के अंडकोष और महिलाओं के ब्रेस्ट पर भी इसका बुरा असर होता है. समय रहते दवाई खा ली जाए, तो इस बीमारी से बचा जा सकता है.