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बाराबंकी: सांसद प्रियंका रावत नहीं खर्च कर पाईं सांसद निधि, पूर्व के अधिकारियों को ठहराया जिम्मेदार

बाराबंकी से भाजपा सांसद प्रियंका रावत अपनी पूरी निधि नहीं खर्च कर पाईं हैं. उनकी आखिरी किस्त सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने रोक दी है. दरअसल, प्रियंका रावत यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट ही नहीं जमा कर सकी हैं.

प्रियंका रावत, सांसद

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Published : Mar 24, 2019, 12:35 PM IST

बाराबंकी :सांसद प्रियंका सिंह रावत भले ही अपने संसदीय क्षेत्र में विकास कार्य कराए जाने के दावे करती हों, लेकिन सच्चाई यह है कि विकास कार्यों के लिए मिलने वाली अपनी सांसद निधि को ही वह पूरी नही खर्च कर पाईं. यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा न करने से सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने उनकी अंतिम किश्त रोक ली है,अगर यहअंतिम किश्त मिल जाती तो जनपद का काफी कुछ विकास हो सकता था. समय पर यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट न जमा करने के पीछे विकास कार्यों के प्रति गम्भीरता न दिखाना माना जा रहा है. हालांकि, सांसद इसके लिए पूर्व के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा रही हैं.

सांसद प्रियंका रावत नही खर्च पाईं अपनी सांसद निधि

क्या है सांसद निधि

प्रत्येकसांसदों को उनके क्षेत्र में विकास कार्य के लिए हर वर्ष पांच करोड़ रुपये की निधि दी जाती है. सांसद यह निधि अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों की आवश्यकताओं को देखते हुए सार्वजनिक हित के कार्यों पर खर्च करता है. सांसद निधि यानी एमपी फंड योजना की शुरुआत सन 1993 में हुई थी. इसके तहत सभी संसद सदस्यों को, चाहे वह लोकसभा के हों या राज्यसभा के, अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए प्रतिवर्ष वित्तीय सहायता दी जाती है. इसका मकसद विकास कार्यों का विकेंद्रीकरण करना था.

जिलाधिकारी या नोडल अधिकारी के खाते में जाती है राशि

सांसद निधि शुरु करते समय यह सोचा गया कि जनहित के छोटे-छोटे कार्य जो बड़ी परियोजनाओं में समाहित नहीं हो पाते, इसके जरिए आसानी से कम समय में हो सकेंगे, लेकिन सच्चाई यह है कि इस योजना की राशि जरूर बढ़ती गई, मगर इससे जनता को कोई खास लाभ नहीं हो पाया. इस योजना की राशि सांसद के खाते में नहीं बल्कि जिलाधिकारी या नोडल अधिकारी के खाते में जाती है.

दो किश्तों में भेजी जाती हैराशि

वित्तीय वर्ष शुरू होने के पहले ही राशि ढाई करोड़ रुपए की दो किस्तों में भेजी जाती है. सांसद के बताने के मुताबिक जिलाधिकारी इस राशि का उपयोग करता है. ऐसी व्यवस्था इसलिए की गई, जिससे कोई सांसद मनमाने ढंग से इसे खर्च न कर सके. सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में स्थानीय लोगों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक हित के कार्यों, जैसे- शिक्षा ,पेयजल ,स्वास्थ्य ,स्वच्छता, बिजली और सड़क पर यह राशि खर्च करता है.

यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट

सांसद निधि की किस्त मिलने के बाद जब तक उसका यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं जमा किया जाता, तब तक दूसरी किस्त जारी नहीं होती. यह यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट सांसद जमा करता है, जिसमें विकास कार्यों का लेखा जोखा, खर्च और कार्यों का वेरीफिकेशन शामिल होता है.

इस वजह से सांसदकी आखिरी किस्त रुकी

जनपद से भाजपा सांसद प्रियंका रावत अपनी पूरी निधि ही नही खर्च कर पाईं. उनकी आखिरी किस्त सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने रोक दी है. दरअसल, प्रियंका रावत यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट ही नही जमा कर सकी. समय पर यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट न जमा करना लापरवाही की श्रेणी में आता है.

सांसद ने पूर्व के अधिकारियों को ठहराया जिम्मेदार

सांसद प्रियंका रावत इसके लिए अपनी गलती न मान पूर्व के अधिकारियों को जिम्मेदार मान रही हैं. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में वह सांसद बनी. शुरुआत की दो किस्तें 2014-15और 2015-16 में पांच-पांच करोड़ की जारी हुई, फिर वित्तीय वर्ष 2016-17 में भी पांचकरोड़ मिले. वित्तीय वर्ष 2017-18 में महज ढाई करोड़ मिले. उसमें से भी वह 2.14 करोड़ नही खर्च कर सकी, जिससे उनकी आगे की निधि जारी नही की गई. इन्हें महज 17.50 करोड़ रुपये ही जारी हुए. अगले वित्तीय वर्ष की पूरी निधि उपभोग प्रमाणपत्र जमा न करने से जारी नही हुई.

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